Friday, January 31, 2025
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जीतेन्द्र के 10 गीत उनके 79 वें जन्मदिन पर

क्योंकि उनकी उछल कूद वाली  छवि के कारण  हमें हमेशा लगता है कि जीतेंद्र ने ज़्यादा गाने पेड़ों के आसपास गाते हुए या नायिकाओं के साथ खुले स्थानों में नृत्य करते हुए ही प्रदर्शित किए है। नरेंद्र कुशनूर ने लिखा है , उनके सभी गाने ऐसे नहीं थे ,जैसे कि उन्होंने उत्साहित नृत्य धुनों, सरल प्रेम गीतों और धुनों को भी फिल्माया था ।

क्योंकि उनकी उछल कूद वाली  छवि के कारण  हमें हमेशा लगता है कि जीतेंद्र ने ज़्यादा गाने पेड़ों के आसपास गाते हुए या नायिकाओं के साथ खुले स्थानों में नृत्य करते हुए ही प्रदर्शित किए है। उनके सभी गाने ऐसे नहीं थे ,जैसे कि उन्होंने उत्साहित नृत्य धुनों, सरल प्रेम गीतों और धुनों को भी फिल्माया था ।

7 अप्रैल को उनके 79 वें जन्मदिन के साथ, हम शैलियों के मिश्रण का उपयोग करते हुए 10 प्रसिद्ध जीतेंद्र के गाने चुनते हैं। इनमें से पांच गाने रफ़ी ने और पांच गाने किशोर ने गाए हैं और दोनों गायकों की आवाज़ उनके व्यक्तित्व से समान रूप से मेल खाती है। सूची कालानुक्रमिक है।

  1. मस्त बहारों में – फरज (1967) :- एक बहुत बड़ा गीत, जहाँ लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल ने ताल का अद्भुत प्रयोग किया। मोहम्मद रफी द्वारा गाया गया, यह आनंद बख्शी द्वारा लिखा गया था, जिसमें पंक्तियाँ “सारा जहाँ है मेरे लिए” बच्चों से लेकर बड़ों तक सबकी ज़ुबान पर था । जीतेंद्र उछल कूद वाली छवि के साथ मशहूर हो गए, जिसमें अरुणा ईरानी उनके साथ थीं। फिल्म की नायिका बबीता थी।
  2. ग़म उठाने के लिए – मेरे हुज़ूर (1968) :-रफी के साथ हसरत जयपुरी की तर्ज पर “गम उठाने के लिए मैं तो जीए जाऊँगा, साँस की लय पे तेरा नाम लिए जाऊँगा” गाते हुए उदासी से भरा गीत जीतेंद्र पर फिल्माया गया। शंकर-जयकिशन द्वारा संगीत दिया गया था, माला सिन्हा और राज कुमार भी पर्दे पर दिखाई दे रहे थे। कई उदास गीतों की पंक्ति में भी इस गीत ने अपनी एक जगह बना ली ।
  3. आने से उसके / जीने की राह (1969) :- जीतेंद्र, रफी, लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल और बख्शी के संयोजन ने इस गीत पर काम किया, जिसे खुली जगहों पर चित्रित किया गया था। जिसके शब्द थे, “आने से उसके आए बहार, जाने से उसके जाए बहार, बड़ी मस्तानी है, मेरी महबूबा, मेरी ज़िंदगानी है, मेरी महबूबा”। यह वर्षों तक रेडियो श्रोताओं का पसंदीदा गीत रहा।
  4. ढल गया दिन – हमजोली (1970) :- यह गीत इसलिए भी प्रसिद्ध हुआ क्योंकि इसमें जीतेन्द्र और लीना चंदावरकर ने आनंदप्रद तरीके से बैडमिंटन खेला था। लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल के संगीत में आनंद बख़्शी के लिखे हुए गीत को फिर से रफ़ी और आशा भोसले ने इस युगल गीत को गाया। ये पंक्तियां थीं, “ढल गया दिन, हो गयी शाम, जाने दो जाना है, अभी अभी तो आई हो, अभी अभी जाना है”। फिल्म में लोकप्रिय रफी-लता का गीत ‘हाए रे हाए, नींद नहीं आए” भी था।
  5. कितना प्यारा वादा है – कारवां (1971) :- उन यादगार खुले स्थानों के गीतों में से एक, यह जीतेन्द्र और आशा पारेख पर फिल्माया गया था, जो एक लोक पोशाक में बहुत खूबसूरत लग रहे थे। रफी और लता द्वारा गाया गया, इसमें आर डी बर्मन का संगीत था जो उस समय बहुत मशहूर था। मजरूह सुल्तानपुरी ने पंक्तियाँ लिखीं, “कितना प्यारा वादा है, इन मतवाली आँखों का, इस मस्ती में सूझे ना, क्या कर डालूं हाल मोहे संभाल”।https://www.youtube.com/watch?v=wq0LSN0wY_A
  6. मुसाफिर हूं यारो – परिचय (1972) :- किशोर कुमार के साथ आर.डी.बर्मन की एक मणि, गुलज़ार की पंक्तियों को गाते हुए, “मुसाफिर हूँ यारो, ना घर है ना ठिकाना, मुझे चलते जाना है, बस चलते जाना” । इस गीत में जीतेंद्र को एक टाँगे की पिछली सीट पर यात्रा करते दिखाया गया था, और ताल चित्रांकन से मेल खाता था। मुंह से बजाने वाले बाजे और बाँसुरी का अद्भुत उपयोग किया गया।
  7. ओ माझी रे – खुशबू (1975) :- इस गीत में एक नाव पर बैठे जीतेंद्र को एक बार फिर आर.डी.बर्मन, किशोर कुमार और गुलज़ार के शानदार संयोजन के साथ देखा गया। राग और ताल पूर्वी भटियाली लोक शैली से प्रेरित थे। शब्द यूँ गाए गए, “ओ माझी रे, अपना किनारा, नादिया की धारा है”। हेमा मालिनी भी कुछ दृश्यों में दिखाई दीं।
  8. तेरे संग प्यार मैं नहीं तोड़ना / नागिन (1976) :- इस गीत के तीन संस्करण थे – दो लता एकल (रोमांटिक और उदास) और महेंद्र कपूर के साथ उनका युगल गीत। सबसे आखिरी में जीतेंद्र और रीना रॉय का चित्रण किया गया, जिन्होंने काफी सफल जोड़ी बनाई। संगीत लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल का था, और वर्मा मलिक ने गीत लिखे थे। जब यह गाना प्रस्तुत हुआ उस समय रेडियों पर बहुत मशहूर रहा ।
  9. जाने क्या सोचकर – किनारा (1977) :- एक ख़ूबसूरत उदासी गीत जहाँ किशोर ने गुलज़ार की पंक्तियाँ गाईं एक उदासी भरा गीत “जाने क्या सोचकर नहीं गुज़रा, एक पल रात भर नहीं गुज़रा”। एक बार फिर, आर.डी. बर्मन ने राग कल्याण का उपयोग करते हुए संगीत की रचना की। यह गीत बर्मन के बहुत प्रशंसकों के बीच में बार बार गाया जाने वाला गीत रहा । जीतेंद्र और हेमा मालिनी पर्दे पर दिखाई दिए।
  10. नैनों में सपना / हिम्मतवाला (1983) :- जीतेन्द्र और श्रीदेवी एक हिट जोड़ी के लिए बने थे, और बप्पी लहरी द्वारा रचित यह गीत बेहद लोकप्रिय था। समुद्र तट पर चित्रित मिट्टी के बर्तनों के बीच में एक मुख्य आकर्षण इसकी कोरियोग्राफी थी । लता और किशोर द्वारा गाया गया, इसे इंदीवर ने लिखा था। ये पंक्तियाँ थीं “नैनों में सपना, सपनों में सजना, सजना पे दिल आ गया” ।

यह, ज़ाहिर है, केवल एक नमूना था, क्योंकि जीतेंद्र के कई प्रसिद्ध गाने थे और अगर लोगों ने इस गीत की माँग की तो, उनका नृत्य स्पष्ट रूप से एक संपत्ति था।

Narendra Kusnur
Narendra Kusnur is one of India’s best known music journalists. Born with a musical spoon, so to speak, Naren, who dubs himself Kaansen, is a late bloomer in music criticism. He was (is!) an aficionado first, and then strayed into writing on music. But in the last two decades, he has made up for most of what he didn’t do earlier.

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