गले मिलने, हाथ मिलाने, मानवी स्पर्श के आनंद से वंचित करने के बाद नोवेल कोरोना वाइरस अब हमारी सूँघने की शक्ति पर आक्रमण कर रहा है, डॉ. नूर गिल लिखती हैं
‘ज़रा रुककर फूल तो सूँघो’ कहकर हम कोरोना-पूर्व समय में अपने लोगों को जीवन की छोटी छोटी बातों का मज़ा लेने को कहते थे. गले मिलने, हाथ मिलाने, मानवी स्पर्श के आनंद से वंचित करने के बाद नोवेल कोरोना वाइरस अब हमारी सूँघने की शक्ति पर आक्रमण कर रहा है. राजमा-चावल की महक और पहली बारिश के बाद मिट्टी से उठनेवाली सौंधी सौंधी सुगंध छीन रहा है हम से. एक ही चीज़ तो ठीक चल रही थी हमारे लिए, उसपर आक्रमण करने की हिम्मत कैसे की उसने? क्या सूँघने की शक्ति का गायब होना भी लंबे समय तक चलेगा, जैसे घर पर कुछ भूल आने की भावना बनी रहती है ? (इन दिनों तो मास्क ही अधिकतर)
एनोस्मिया क्या है?
सबसे पहले देखते हैं कि एनोस्मिया वास्तव में क्या है. हर प्रकार के घ्राणेंद्रिय कार्यों के लुप्त होने को एनोस्मिया कहते हैं, जिसके अनेक कारण हो सकते हैं जिनमें ऊपरी श्वसन क्षेत्र का संक्रमित होना सबसे प्रमुख है.
कोविड 19 के रोगियों को अन्य कोई लक्षण न होते हुए भी अचानक एनोस्मिया हो सकता है. लेकिन कुछ रोगियों में एनोस्मिया होने से पहले कोविड 19 से संबंधित सूखी खाँसी जैसे कुछ लक्षण नज़र आ सकते हैं.
कोरोना वाइरस में घ्राणेंद्रिय के उचित रूपसे कार्य न कर पाने के अधिक प्रमाण मिल रहे हैं. जैसा हम पहले कह चुके हैं, ऐसा अपने आप से हो सकता है, या कोरोना वाइरस के अन्य लक्षणों के साथ.
कोविड 19 के रोगियों में घ्राणेंद्रिय दुष्क्रिया की रोगजनक प्रक्रिया और रोगलक्षण अभी तक अज्ञात हैं.
अध्ययनों से प्राप्त जानकारी
हमारे प्रश्नों के उत्तर खोजने के लिए अनेक क्रॉस-सेक्शनल अध्ययन और अनुसंधान किए गए हैं. इनसे अभी तक प्राप्त जानकारी इस प्रकार है –
एन सी बी आइ (संस्था) के अधीन द अमेरिकन जर्नल ऑफ ओटोलैरिंजोलॉजी में छपा है, “कोविड 19 के रोगियों में प्रमुख लक्षण हैं बुखार, खांसी, और वे लिंफ़ोंसाइटोपीनिया (रक्त में लिंफोसाइट कोशाणुओं की मात्रा अत्यंत कम हो जाने को लिंफ़ोंसाइटोपीनिया कहते हैं. लिंफोसाइट एक प्रकार के श्वेत रक्त कण होते हैं जो रोगप्रतिकार व्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं.) तथा छाती की कंप्यूटर टोमोग्राफी (चेस्ट सी टी) में ग्राउंड-ग्लास ओपेसिटी परिवर्तन दिखलाते हैं. अत्यधिक संक्रमित रोगियों में एक्यूट सेरेब्रोवास्कुलर रोग, अस्थि-पंजर की माँसपेशियों में घाव, और सदोष चेतना जैसे न्यूरोलॉजिकल लक्षण भी उत्पन्न हो सकते हैं. इनके अतिरिक्त, कुछ रोगियों में ऊपरी श्वसन क्षेत्र के लक्षण जैसे कि फैरिंगोडायनिया (गले में दर्द), गले में खराश, बंद नाक, राइनोरिया (नाक बहना), घ्राणशक्ति में परिवर्तन आदि भी देखने को मिलते हैं.
कोविड 19 के रोगियों में एनोस्मिया तथा हायपोस्मिया सहित मुख्य रूप से घ्राणेंद्रिय दुष्क्रिया देखने को मिलती है. लेकिन कोविड 19 के रोगियों में संभावित घ्राणेंद्रिय दुष्क्रिया की मात्रा अब तक अस्पष्ट है.”
अध्ययन के दौरान जब लक्षणसहित और लक्षणरहित रोगियों के नाक और गले से सैंपल लिए गए तो नासा गुहा में ग्रसनी की अपेक्षा कहीं अधिक मात्रा में वाइरस पाए गए. यह एक संकेत है कि शायद संक्रमण सर्वप्रथम नाक के मार्ग से होता है.
वाइरस की कार्यप्रणाली क्या है, और क्या यह हानि स्थायी है?
हारवर्ड मेडिकल स्कूल के वैज्ञानिकों और अनुसंधानकर्ताओं द्वारा किए गए एक अन्य अध्ययन के अनुसार, “अस्थायी रूप से सूँघने की शक्ति की हानि अथवा एनोस्मिया, कोविड 19 के रोगियों के न्यूरोलॉजिकल लक्षणों में प्रमुख है, तथा यह कोविड 19 ने लक्षणों में सर्वाधिक पाया जाने वाला लक्षण है. अध्ययनों से ये संकेत मिलते हैं कि सूँघने/स्वाद लेने की शक्ति की हानि द्वारा नर्वस सिस्टम का इस रोग में सहभाग लेना, अन्य सुपरिचित लक्षणों से बेहतर इस रोग के होने की संभावना को दर्शाता है.”
इस सब के बावजूद, यह पूरी तरह से ज्ञात नहीं है कि कोरोना वाइरस के रोगियों में किस प्रकार सूँघने की शक्ति की हानि होती है.
घ्राणेंद्रिय संवेदी तंत्रिकाएँ वह जीन नहीं दर्शातीं जो ए सी ई 2 रिसेप्टर प्रोटीन को एन्कोड करता है जिसका उपयोग कोरोना वाइरस मानव शरीर में प्रवेश करने के लिए करता है. फिर वह रोगी की सूँघने की शक्ति को कैसे प्रभावित करता है? हारवर्ड मेडिकल स्कूल की ब्लावात्निक इंस्टीट्यूट में न्यूरोबायोलॉजी के सहप्रध्यापक डॉ. संदीप रॉबर्ट दत्ता कहते हैं, “हमारी खोज से पता चला है कि नॉवेल कोरोना वाइरस सीधे ही तंत्रिकाओं को संक्रमित करके रोगियों की सूँघने की शक्ति को परिवर्तित नहीं करता बल्कि सहायक कोशिकाओं के कार्य को प्रभावित करता है, जिससे अप्रत्यक्ष रूप से घ्राणेंद्रिय संवेदी तंत्रिकाओं में परिवर्तन आता है.”
यह इतना बुरा नहीं है, क्योंकि इसका अर्थ है कि एस ए आर एस – को वी – 2 के संक्रमण से स्थायी क्षति अथवा दीर्घकालीन एनोस्मिया की संभावना कम है.
हम लोग हर दिन नॉवेल कोरोना वाइरस के बारे में कुछ नया सीख रहे हैं. एनोस्मिया/सूँघने की शक्ति की हानि के प्रति हमें सचेत रहना है, लेकिन जैसा कि अब तक के अध्ययनों से निष्कर्ष निकलता है, यह लंबे समय तक नहीं रहता. समाचार पूरी तरह से अच्छा तो नहीं है, पर जब हम इस वाइरस द्वारा फैलाये जा रहे भयंकर कष्टों को देखते हैं, तो समाचार का कम बुरा होना भी एक अच्छा समाचार है.