उस समय की पीढ़ी के लिए मेहदी हसन गज़ल के महान गायक थे। 13 जून को इस महान संगीतज्ञ की 8वीं पुण्यतिथि पर, नरेंद्र कुसनूर ने उनकी 10 ऐसी गजलें और नज्में चुनी हैं, जिनमें से अधिकांश गाने बहुत ही लोकप्रिय रहे- सारे गज़ल एक से बढ़कर एक
नरेंद्र कुसनूर की कलम से,
एक पूरी पीढ़ी के लिए मेहदी हसन साहब एक महान गज़ल गायक थे। उनकी जादूई आवाज, कविता का चुनाव, शास्त्रीय संगीत का ज्ञान और उनके भावनाओं को व्यक्त करने की शक्ति उनके संगीत को अनोखा बनाती है।
मेहदी हसन साहब की 8वीं पुण्यतिथि पर हमने 10 गजलें और नज्में चुनी हैं। स्पष्ट रुप से उनके और भी पसंदीदा गाने इस सूची में सम्मलित किए जा सकते थे, फिर भी हमारा यही प्रयास रहा है की उनके सबसे प्रसिद्ध और अन्य गानों के मिश्रण की कलाकृति पेश करें।
उन्होनें शास्त्रीय से लेकर आधुनीक गाने तक गाए हैं, और हर बार गीतकार अलग थे। जो लोग उनके काम को कम जानते हैं उनके लिए मेहदी साहब को जानने का यह सुनहरा अवसर है।
1.रंजिश ही सही
‘रंजिश ही सही’ अहमद फराज़ की लिखी गई बहू लोकप्रिय गजलों में से एक है। यह गज़ल यमन कल्याण राग पर आधारित है।
गज़ल की पँक्तियाँ “आ फिर से मुझे छोड़ के जाने के लिए आ”, करुणा भाव को दर्शाती है जो गज़ल की विशेषता है।
2.जिंदगी में तो सभी
मेहदी हसन द्वारा गाया गया यह एक शानदार प्रेमगीत है। गाने की पँक्तियाँ कुछ इस तरह से हैं, “जिंदगी में तो सभी प्यार किया करते हैं , मैं तो मरकर भी मेरी जान तुझे चाहूँगा”। गाने के संगीत में राग भीमपलासी का प्रयोग किया गया है।
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गुलों में रंग भरे
1955 में जब यह गाना पाकिस्तानी रेडिओ पर बजा तो बहुत बड़ा हिट साबित हुआ और रातोंरात मेहदी हसन प्रसिद्ध हो गए। फैज अहमद फैज द्वारा लिखी गई यह गज़ल काफी जटिल है लेकिन जब मेहदी साहब ने यह गीत ‘चले भी आओ कि गुलशन का कारोबार चले’, गाया तो गाने के साथ पूरी तरह न्याय करते नज़र आते हैं।
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प्यार भरे दो शर्मिले नैन
ख्वाज़ा परवेज द्वारा लिखा यह गाना, 1974 में आई फिल्म ‘चाहत’ का है, जिसे मेहदी हसन ने बड़ी खुबसूरती से गाया है। गाने के बोल कुछ इस तरह हैं, “तू जो रहे साथ मेरे, दुनिया को ठुकराऊँ, तेरा दिल बहलाऊँ”।
5.कैसे कैसे लोग
मुनिर नियाज़ी की लिखी यह गज़ल “कैसे कैसे लोग हमारे जी को जलाने आ जाते हैं, अपने अपने गम के फ़साने हमें सुनाने आ जाते हैं”, मेहदी हसन की गाई इस गज़ल को उनके प्रशंसकों ने बहुत सराहा और उन्हें प्रेम दिया।
6.देख तो दिल के जाँ
“देख तो दिल के जाँ से उठा है, ये धुआँ सा कहाँ से उठा है” इसे महान गीतकार मीर तकी मीर ने अपनी कलम से आभूषित किया है। इस गाने को हिन्दी फिल्म ‘सात खून माफ़’ के एक दृश्य में संक्षेप में दर्शाया है।
7. भूली बिसरी चंद उम्मीदें
राज़ी तिरमजी की लिखी पंक्तियाँ कुछ इस तरह हैं, “भूली बिसरी चंद उम्मीदें चंद फ़साने याद आये; तुम याद आये और तुम्हारे साथ ज़माने याद आये”। मेहदी साहब ने इस गाने को बहुत सादगी से गाया है, जो श्रोताओं को बीते समय की याद दिलाता है।
8. कू–ब–कू फैल गई
गाने के पारखी प्रवीण शकीर की लिखी यह पसंदीदा गज़ल है, जिसमें गायक अपनी नजदीकियाँ, दूसरों के साथ कैसे बढ़ाता है, बताया गया है। इसका दूसरा संस्करण आबिदा परवीन जी ने गाया और वो भी प्रसिध्द रहा।
9. क्या टूटा है अंदर अंदर
मेहदी हसन साहब द्वारा गाई यह गज़ल उनके आभूषणों में से एक है। गज़ल को फरहात शहजाद ने लिखा है जिसे ऐल्बम ‘कहना उसे’ में सम्मलित किया गया है।
गाने की पँक्तियाँ कुछ इस तरह हैं, “क्या टूटा है अंदर अंदर, क्यूं चेहरा कुम्हलाया है; तन्हा तन्हा रोने वालो, कौन तुम्हें याद आया है”।
10. दायम पड़ा हुआ
10 गानों की सूची में मिर्ज़ा गालिब का नाम शामिल ना हो ऐसा तो हो नहीं सकता और यह उनके पसंदीदा गजलों में से एक है। इस गाने को बेगम अख्तर, हरिहरन, गुलाम अली, जसविंदर सिंह और हाल ही में गायत्री अशोकन जैसे मंझे कलाकारों ने गाया है, पर मेहदी साहब का गाया हुआ संस्करण अलग ही जादू बिखेरता है।