पारंपरिक रूप से पुरूषों ने दोस्ती को दोस्तों के साथ कारोबार द्वारा मज़बूती से जोड़े रखा। और जो इस महामारी के दौरान बहुत ही ज्यादा हद तक प्रभावित हुई है।
पूरे विश्व के मनोवैज्ञानिकों को इस बात की चिंता है कि यह कोरोनावायरस महामारी,अकेलेपन की महामारी को बढ़ावा दे रही है।और यह सत्य है कि समाज के कुछ हिस्सों पर इस महामारी का दूसरे हिस्सों की तुलना में ज्यादा प्रकोप हुआ है।
हावर्ड के एक नए शोध के अनुसार इससे समाज में अकेलेपन का उद्भव हुआ है, जिससे सबसे ज्यादा वरिष्ठ किशोर, युवा व्यस्क और पुरूष प्रभावित हुए हैं।
देखने में यह आया है, कि स्त्रियों की तुलना में पुरुषों को,महामारी से अपनी दोस्ती को नुकसान होने की अधिक चिंता है।
मैन हेल्थ चैरिटी के आंकड़ों के अनुसार 40% पुरुष इस बात से परेशान हैं, कि उन्होंने पिछले साल अपने कई दोस्तों को खोया जो कि अब कभी भी नहीं मिल पाएंगे।
पुरुष ही क्यों और किस तरह से उनकी मानसिकता महामारी से प्रभावित हुई है?
मिशैल टैरी,सी ई ओ, ऑफ मूवम्बर के अनुसार “मजबूत सामाजिक संबंधों से व्यक्ति के स्वास्थ्य पर अधिक समय तक असर रहता है । और उसको अपने साथी तथा उन लोगों के साथ समय बिताना बहुत अच्छा लगता है, जिन पर वह विश्वास करता है।”
इस अध्ययन के अनुसार,महामारी के दौरान व्यक्ति अपने दोस्तों से पहले की अपेक्षा अधिक दूर हो गया है। ज्यादातर व्यक्ति वर्तमान स्थिति में अच्छा महसूस नहीं कर रहे हैं, और डिप्रेशन (अवसाद) से पीड़ित हो रहे हैं।
अतः यह एक चिंता का कारण है,क्योंकि दोस्ती व्यक्त्ति के स्वास्थ्य के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण चीज होती है।
यद्यपि यह आंकड़े वैश्विक और खासतौर पर यूरोपियन देशों से जुड़े हुए हैं, लेकिन हम इस बात को नजरअंदाज नहीं कर सकते कि भारत में भी पुरुषों की आबादी भी बहुत हद तक अकेलेपन से पीड़ित है।
” क्या यह एक राग अलापना है?
या क्या आप अपने दोस्तों से डिस्कनेक्टेड (अलग) हो गए हैं ?”
किसी भी चीज को अपने ऊपर हावी ना होने दें,जिससे आपके ऊपर तनाव बढ़े व आप अपने को अकेला महसूस करें।
भारत में सबसे अधिक अच्छी बात यह है कि यहाँ ज्यादातर लोग अपने परिवार के संग रहते हैं। जिसके परिणामस्वरूप उनके बीच आपस में ज्यादा वार्तालाप होता रहता है व जरूरत के वक्त एक दूसरे की मदद करते रहते हैं।
इस महामारी तथा वर्क फ्रॉम होम से एक फायदा यह भी हुआ है कि पुरुषों ने, घर को किस तरह से चलाते हैं तथा बच्चों को पालने में मेहनत और घर के न खत्म होने वाले कामों की जिम्मेदारियों को समझना शुरू कर दिया है।
बहुत सारे पुरुषों ने इन सब कामों के प्रति अपनी जिम्मेदारी भी निभानी शुरू कर दी है। यद्यपि यह उनके लिए बहुत ही आभार ना व्यक्त करने वाले काम हैं। परंतु उन्होंने घर को चलाने में धन सहायता के अलावा इन कामों में भी अपना हाथ बटानां शुरू कर दिया है।
इसके अलावा समाज की निर्धारित रीतियों के अनुसार पुरुषों को ज्यादातर घर से बाहर रहने की आदत है और लॉक डाउन की वजह से उनके ऊपर इसका ज्यादा प्रभाव पड़ा है।
आप इस बात से परेशान मत हों, अगर आप स्वयं को परेशानियों के भंवर में पाते हैं- क्योंकि इन बाधाओं से केवल आप घिरे हुए ही नहीं हैं बल्कि दोस्ती के छोर पर बहुत से ऐसे समाधान हैं जो आपको इन बाधाओं से निज़ात दिलवा सकते हैं।
आइए देखते हैं कि वह कौन से तरीके हैं जो कि इन परेशानियों का समाधान हैं, जिससे आप में फिर से सामाजिक जीवन जीने की चाह उजागर हो जाएगी।
पुराने दोस्तों से पुनः संबंध बनाइए:
जरा सोचिए कि आपने कब आखिरी बार अपने स्कूल व कॉलेज के दोस्तों के साथ बात की थी?
इस महामारी को एक सुनहरा अवसर मानकर अपने उन दोस्तों से बात करिए,जिनसे आप के कुछ मतभेद हो गए थे। तथा बिना देर किए हुए अपने पुराने दोस्तों से जुड़ें।
आज लोगों तक जल्दी पहुंचने के बहुत से आसान साधन हैं: जैसे व्हाट्सएप, फेसबुक, सोशल मीडिया पर मैसेज,ई-मेल या टेक्स्ट।
कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप कितना असहज महसूस कर रहे हैं क्योंकि बहुत जल्दी ही आप के बीच सब कुछ सामान्य हो जाएगा। और यह जानकर आपको अच्छा लगेगा कि इन गुजरे सालों में आप दोनों के साथ क्या क्या बीता।
ज्यादा से ज्यादा क्या होगा वह आपको ना ही कर देंगें उससे कोई भी फर्क नहीं पड़ेगा क्योंकि जहां आप पहले थे वही पर अब भी होंगे।
तत्काल सुझाव:
जैसा कि पहले बताया जा चुका है कि पुरुषों ने अपनी दोस्ती एक साथ काम कर के निभाई है ,न कि केवल बातचीत कर समय व्यतीत किया हो। अतः पुराने दोस्तों को केवल फोन करना और उनसे पूछना कि सब कुछ कैसा चल रहा है,दोबारा दोस्ती के लिए पर्याप्त नहीं है। बल्कि उनकी उन सब बातों को सुनें जो आपमें व उनमें एक समान हो और उन्हें कोविड से बचने के उपायों के बारे में बताएं।
नए संबंध बनाने के लिए देरी न करें :
पुराने दोस्ती के प्रति आभारी हों और इसका मतलब यह नहीं कि आपके नए दोस्त नहीं बन सकते हैं।
क्या आप प्रत्येक दिन कुछ ऐसे लोगों से मिलते हैं।जिनके साथ आपका कभी भी कोई अर्थपूर्ण वार्तालाप नहीं हुआ हो।
भावी दोस्ती विकसित करने के लिए आप में थोड़े साहस की जरूरत है,और वार्तालाप करने में एक सहायक या सहकर्मी की जरूरत होगी, जो कि आपमें एक समान रूचियों को पहचान सके।
वार्तालाप शुरू करें व सवाल पूछे, अधिक सोचने की बजाय फौरन और बिना अटके बात करें ।
इन सब की बजाय यह भी सोचिए कि “मैं क्या कर सकता हूं। और क्या सामने वाला व्यक्ति भी नए रिश्ते की तलाश में है तथा इस तरह के नए अवसरों का स्वागत करें।”
रूचियों के अनुसार लोगों से मिले:
आपकी रुचियां क्या हैं ?
और इन रुचियों के वे कौन-कौन से तरीके हैं,जिनके द्वारा आप अन्य लोगों से जुड़ सकते हैं।
आप एक स्पोर्ट लीग,किताब क्लब, डांस और एक समूह चला सकते हैं या फिर एक वॉलिंटियर्स बन सकते हैं।
इस तरह से अनेक रास्ते हैं। जिसमें आप एक विचारधारा के लोगों के साथ जुड़ सकते हैं। एप्स जैसे- मीट अप आपको अपडेट करता है और आपकी रुचियों से जुड़ी सारी घटनाओं के बारे में जानकारी देता है। आप अकेले या किसी और के साथ भी इससे जुड़ सकते हैं,जो कि दोस्ती करने का एक बहुत ही अच्छा विकल्प है।
रीचआउट और योजनाएं बनाना :
आपने पिछली बार कब अपने किसी दोस्त को घर पर खाने के लिए निमंत्रण दिया था या फिर दोस्तों के समूह के साथ आपने कुछ किया हो? या आप इंतजार कर रहे हैं कि आपका दोस्त पहल करें।
आप उन लोगों जैसे बनें,जो कि एक क्रिया कलाप का सुझाव दे सकें।
अगर आप जानते हैं कि आपका रोमांटिक साथी आपका दोस्त भी है,तो अन्य युगल को डिनर पर बुलाकर उस वक्त को डबल डेट बना लें।
योजनाएं बनाएं और उसमें नए व काबिल दोस्तों को शामिल करें जिससे आपके बीच में एक अर्थपूर्ण संबंध बनेगा।
अपना आराम छोड़िए :
अपने आप को आराम के दायरे से बाहर निकालें,और कुछ ऐसा नया करें जिससे लोगों के बीच आपकी पहचान बने। यद्यपि इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप कितना असहज महसूस कर रहे हैं क्योंकि सब कुछ स्वयं ही ठीक हो जाएगा।
विचार करें कि आपके लिए क्या महत्वपूर्ण है:
हॉवर्ड बिजनेस रिव्यू के अनुसार, “आमने सामने के संपर्क के बिना दोस्तों और परिवार के साथ हमारे संवेदनात्मक संबध बहुत ही जल्दी टूट जाते हैं।और अगर आप दो महीने तक किसी व्यक्ति से ना मिलें तो समूह में दोस्तों और परिवार के साथ घनिष्ठता में तकरीबन 30% तक संबंध कमजोर हो जाते हैं, और जिसके कारण दोस्ती भावहीन हो जाती है। और 5 महीने के बाद – लॉक डाउन के बाद जैसे-जैसे समय बीतता गया- दोस्तों के बीच में अचानक से तकरीबन 80% तक घनिष्टता में कमी आ गई है।
आप कौन हैं, इस पर पुनः विचार करें जोकि आपको अपने मूलमंत्र द्वारा धीरे सोच वाली प्रवृत्ति से बाहर निकलने में सहायक होगा।
फिर से विचार करें कि आप कौन हैं आपके लिए क्या मह्त्वपूर्ण है जिससे आप में एक सहूलियत या नियंत्रण की भावना जागृत होगी। जिससे आप को फिर से उन लोगों से संपर्क बनाने में आसानी होगी जिनसे आपके संपर्क खत्म हो गए थे।
रिश्तों की परीक्षा:
क्या कुछ ऐसे संबंध है जिनमें कोई मजबूती नहीं है।और उन संबंधों में कुछ नहीं बचा है, परंतु उन संबंधों को बस निभाया जा रहा है।
इस महामारी ने कुछ लोगों को फिर से संबंधों का मूल्यांकन करने का अवसर दिया है कि उनके लिए कौन सा रिश्ता महत्वपूर्ण है।जिससे कुछ दोस्ती बची रहेगी और कुछ रिश्ते खत्म हो जाएंगे जोकि गलत बात नहीं है।
क्या आप अपने में कुछ तलाश रहे हैं या अकेलेपन की तरफ बढ़ रहे हैं:
अगर हां तब आपको इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता, बस आप प्रत्येक दिन का आनंद लें और जैसे-जैसे दिन आए उसका आप वैसे ही आनंद उठाएं और आप महसूस करेंगे कि महामारी से आपके अंदर अध्यात्मिक प्रगति हुई है।
अपने आप को तलाशना बहुत ही महत्वपूर्ण है परंतु सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि आप अपने प्रति कितने सजग हैं।
अगर एक बार आपने अपने आप को तलाश लिया तो कोई भी चीज ऐसी नहीं है जो आपको पूरी तरह से जीवन जीने से रोक सके व हर पल को आप महसूस न कर सकें। इससे आप पाएंगे कि आपके पास जो भी है वह जीवन की किन कठिन परिस्तिथियों से आपके पास है।कोविड 19 महामारी अपने साथ एक परिवर्तनकारी सबक लेकर आया है, जिसके अनुसार हमारा जीवन हमेशा के लिए परिवर्तित हो जाएगा।