Saturday, November 16, 2024
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जब पॉप बना देशी

25 वर्ष पहले पॉप इंडिया आया और इंडिपॉप नाम से लोकप्रिय हुआ, इसका उत्थान हुआ………..और फिर धीरे धीरे धूमिल हो गया। नरेंद्र कुसनूरने इस शैली के उत्थान और पतन की जाँच की है।

लगभग 25 साल पहले, रिकॉर्ड लेबल मैग्नासाउंड का मुंबई कार्यालय अत्यंत व्यस्त था। जिसकी अगली पॉप ऐल्बम आलिशा चिनॉय की मेड इन इंडिया जारी होने वाली थी, जिसे विद्यु ने संगीत में पिरोया। मई 1995 में ऐल्बम जारी हुआ और इसे बहुत बड़ी सफलता मिली। इसकी 50 लाख प्रतियों का विक्रय हुआ। वीडियो का शीर्षक गीत ( मेड इन इंडिया) को केन घोष ने निर्देशित किया, जिसमें मॉडल मिलिंद सोमन को चित्रित किया गया था। गाना टेलीविजन पर छा गया।

                   उस समय के आसपास इंडिपॉप शब्द को गढ़ा गया। मैग्नासाउंड के अलावा, क्रेशेडो म्यूजिक, जिसने अंत में अंतरराष्ट्रीय  दिग्गज बी.एम.जी. के साथ गठजोड़ किया और इस शैली में कई हिट गाने दिए। 1996 के अंत तक हमें दलेर मेहंदी,  कोलोनियल  कजीन्स (गायक हरिहरन और संगीतकार लेस्ली लेविस)लकी अली , मेहनाज, अनाएडासुचित्रा कृष्णमूर्ति और भाईबहन की जोड़ी शान और सागरिका जैसे इंडिपॉप गायक मिले।  चैनल वी पहले से ही भारत में प्रसिद्ध था और जब 1996 के जनवरी में एम.टी.वी चैनल को जारी किया गया, जिसका प्रसारण 24 घंटे होता था, संगीत वीडियो के लिए यह वरदान साबित हुआ और वीडियो जॉकी, युवाओं के लिए आदर्श बने।

देसी ऊर्जा 

हाँ, 2020 में, भारत में  इंडिपॉप के उदय को 25 साल हो गए। 90 के दशक के अंत के एक बड़े हिस्से के लिए, इंडिपॉप ने हिंदी फ़िल्म संगीत को एक अच्छा विकल्प प्रदान करने के अपने उद्देश्य को पूरा किया, जो बाजार पर हावी था। अफ़सोस की बात यह है कि इसका जुनून कम हो गया और फिल्मी संगीत को हाल तक इससे खतरा नहीं हुआ। बहुत सारे युवाओं का यह सपना था कि वो अगले इंडिपॉप स्टार बने, जैसे कि आज के युवाओं की इच्छा यूट्यूब सेनसेसन बनने की है,लेकिन उनकी ये ख़ुशी ज्यादा समय तक नहीं टिकी।

             एक शैली के रूप में, भारतीय पॉप 1995 से कुछ समय पहले तक अस्तित्व में था। संगीतकार विद्यु ने पहली बार डिस्को दीवाने, स्टार और यंग तरंग को 80 के दशक में जारी किया, जिसमें पाकिस्तानी भाई बहन की पॉप जोड़ी नाजिया और जोहेब हसन थे। गुरदास मान ने पंजाबी संगीत को लोगों तक पहुँचाया। सुनीता राव ने परी जैसा हिट गाना दिया और आलिशा चिनॉय ने बेबी डॉल और मडोना जैसे ऐल्बम दिए। लेकिन 1992 में, बाबा सहगल की आई ऐल्बम ठंडा ठंडा पानी ने धमाल मचाया। श्वेता शेट्टी ने जल्द ही ‘जॉनी जोकर’ को जारी किया। 

                   एम.टी.वी. का एक छोटा दैनिक खंड था, जो अंतरराष्ट्रीय संगीत को दिखाने के लिए समर्पित था। 1994 में, जब चैनल वी, स्टार टीवी नेटवर्क के 24 घंटे चलने वाले  चैनल के रूप में आया, कलाकारों और संगीत कंपनियों ने महसूस किया कि यह उनके नवीनतम वीडियो दिखाने और एल्बमों  का प्रचार करने का अच्छा मंच है। जब एम.टी.वी. पूर्णकालिक रूप से आया, तो  एम.टी.वी और चैनल वी के बीच प्रतिस्पर्धा शुरू हुई कि संगीत वीडियो को पहले कौन निकालेगा या कौन पहले कलाकारों का साक्षात्कार करेगा। उस साल बाद में जब चैनल वी म्यूजिक अवार्ड लॉन्च किया गया, तब तक कई नए पॉप स्टार सर्किट पर आ चुके थे।

            आलिशा चिनॉय के मेड इन इंडिया के कुछ महीने बाद, मैग्नासाउंड ने दलेर मेहंदी के पंजाबी पॉप ऐल्बम बोलो तारा रा रा को जारी किया। ऐल्बम का शीर्षक गीत(बोलो तारा रा रा) उत्तर भारत में एक सनसनी बन गयाऔर अंततः इंडिपॉप ने भारत और विदेशों के कुछ हिस्सों में अपनी पकड़ मजबूत की।  दलेर मेहंदी के ऊर्जा भरे नृत्य के साथ उनके लाइव शोज दर्शकों में एक उन्माद भरते थे। इस ऐल्बम की 20 लाख प्रतियाँ बिकी। 

जीत का कारण 

इंडिपॉप प्रसिद्ध होने का क्या कारण था ? और वो भी ऐसे समय में जब हिंदी संगीत अच्छा कर रहा था।  वो भी बड़े संगीत निर्देशकों .आर.रहमान, नदीम श्रवण, जतिन ललित और अनु मालिक जैसे दिग्गजों के समय पर जो फ़िल्मों में हिट पर हिट संगीत दे रहे थे।

            मुख्य कारण यह था कि लोग संगीत में नयापन चाहते थे, जो बॉलीवुड के फिल्मी संगीत से अलग हो। वे प्रेम गीतों और पार्टी गीतों के एक अच्छे मिश्रण की तलाश में थे और इंडिपॉप ने उन्हें बस यहीं प्रदान किया। 80 के दशक में ग़ज़लों ने फिल्मी गीतों को कड़ी टक्कर दी, लेकिन इसकी दीवानगी भी थोड़े समय में धूमिल हो गई। 

            दूसरा कारण यह था कि कई प्रतिभाशाली गायक थे, जिन्हें अभी भी बॉलीवुड में अवसर नहीं मिला था,क्योंकि तब बॉलीवुड उदित नारायण, अलका याग्निक, कुमार सानू और कविता कृष्णमूर्ति द्वारा शासित था, उनके बाद अभिजीत भट्टाचार्य और साधना सरगम आए। ऐसे परिदृश्य में, इसे बड़ा बनाने के लिए पूरी तरह से अलग मंच की आवश्यकता थी, और इंडिपॉप ने उन्हें यह अवसर प्रदान किया। 

              तीसरा कारण यह था कि संगीत चैनलों के बड़े पैमाने पर आने के साथ, इंडिपॉप संगीत को सुना ही नहीं बल्कि देखा भी जाने लगा। एम.टी.वी और चैनल वी के अलावा, म्यूजिक इ.टी.सी और बी.फॉर.यू पर भी इन गानों को दिखाया जाता था। यहाँ तक की दूरदर्शन और सामान्य मनोरंजन चैनलों  में भी म्यूजिक काउंटडाउन शो थे, जहां इंडिपॉप का प्रदर्शन बढ़ा।

            जहां  मैग्नासाउंड और बी.एम.जी क्रेशेडो, इंडिपॉप लहर को भारत में लाए, वहीं अन्य संगीत कंपनियां भी इस होड़ में शामिल हो गई। 1998 तक यह शैली पूरे जोरों पर थी। एच.एम.वी, जो बाद में सारेगामा इंडिया बन गया, ने असलम और शिवानी की जोड़ी, राजेश्वरी, युवा सुनिधि चौहान  और शंकर महादेवन के एल्बमों  को जारी कियाटाइम्स म्यूजिक ने रीमिक्स ऐल्बम के शुरुआत के अलावा और नवागंतुक एबी को भी लॉन्च किया। 

               सोनी म्यूजिक ने .आर.रहमान जैसे जाने माने कलाकार और नए कलाकार रितिका साहनी और के.के के एल्बमों को जारी कियागायक के.के का ऐल्बमपल’ कॉलेज हलको में बहुत लोकप्रिय था। यहां तक कि सोनी म्यूजिक ने मैग्नासाउंड के कोलोनियल  कजीन्स और बी.एम.जी क्रेशेडो के लकी अली को भी लिया। यूनिवर्सल म्यूजिक ने रीमिक्स संकलन राहुल एंड आई और ऐल्बम जानम समझा करो को प्रसिद्ध गायिका आशा भोंसले के साथ रिकॉर्ड किया। विनस रिकॉर्डस ने हेमा सरदेसाई की हिन्दुस्तानी गुडिया को जारी करने के अलावा अल्ताफ राजा की जबरदस्त पॉप हिट क़व्वाली तुम तो ठहरें परदेसी भी जारी की। आलिशा चिनॉय और शुभा मुद्गल के करार करने से पहले  वर्जिन रिकॉर्डस  ने अपनी  शुरुआत ईस्टर्न जर्नी विद विद्यु के साथ की1999  में टीवी कार्यक्रम सारेगामा के होस्ट के रूप में जाने जाने वाले सोनू निगम की T-series की ऐल्बम, दीवाना हिट रही।   

             कुछ कलाकारों की आवाज अनोखी थी। दलेर मेहंदी की सफलता ने भंगरा पॉप को एक नए मुकाम पर पहुँचाया। लकी अली का ऐल्बम ‘सुनो’ में सादगी और आत्मा का अच्छा मिश्रण था। सिल्क रूट ने बाद में ऐल्बम ‘सुनो’ के सूत्र का प्रयोग अपने ऐल्बम में काफी प्रभावित ढ़ंग से किया। कोलोनियल  कजीन्स ने भारतीय और पाश्चात्य धुनों का अच्छा मिश्रण किया। पलाश सेन के नेतृत्व में दिल्ली स्थित यूफोरिया बैंड ने हिंदी रॉक की एक प्रवृति शुरू की और इंडियन ओशन बैंड जो  दिल्ली से ही था फ्यूजन रॉक में एक बड़ा नाम बन गया। आर्यन और आगोश जैसे बैंडस ने युवाओं को बहुत आकर्षित किया। अली हैदर (के जुनून) और स्ट्रिंगस जैसे पाकिस्तानी कलाकारों ने भी गानों में  अपने अलग मिश्रण से  भारतीय दर्शकों को आकर्षित किया।

                एक  बड़ा विकास तब हुआ, जब कोलोनियल  कजीन्स ने अपना एम.टी.वी अनप्लग ऐल्बम किया,जो पहली भारतीय ऐल्बम थी जिसे अंतरराष्ट्रीय मंच पर जाने का अवसर मिला,  और वो प्रतिष्ठित शृंखला का हिस्सा बन गईं । 1998 के अंत तक इंडिपॉप के लिए सब कुछ अच्छा रहा।

गलत होने लगा 

लेकिन जैसा कहते हैं कि, अच्छा समय हमेशा के लिए नहीं रहता है। रातों रात हालात खराब होने लगे और जब तक किसी को यह महसूस होता,  बात हाथों से  निकलनी  शुरू हो गई। प्रारंभ में कोई भी या हर कोई इंडिपॉप सितारा बनाना चाहता था। प्राइवेट लेबल कंपनियों के द्वारा उन्हें भी प्रचारित किया गया जो दिखने में अच्छे थे और वीडियो में उनकी उपस्थिति अच्छी नजर आती थी, परन्तु वे प्रतिभाहीन थे। एक ऐल्बम में 8 अच्छे गाने प्रदान करने की तुलना में केवल एक लोकप्रिय वीडियो बनाने पर अधिक जोर दिया गया था 

               अच्छी प्रतिभा की खोज करने के लिए कुछ प्रयोग किए गए। 2002 में, चैनल वी और टाइम्स म्यूजिक ने टैलेंट हंट प्रतियोगिता के माध्यम से एक गर्ल बैंड बनाने का निर्णय किया। 

परिणाम, बहुत ज्यादा चर्चित की गई गर्ल बैंड, विवा के पक्ष में आया, जिसके प्रथम ऐल्बम में ही गुणवत्ता की काफी कमी थी।

अ बैंड आफ बॉयज, आरिया और आसमां जैसे बैंड आए जो कभी भी वो प्रभाव नहीं छोड़ सके, जैसी लोगों की अपेक्षा थी।

                     तीसरा कारण यह था कि , हर कोई पहले से सफल सूत्रों पर टिकने की कोशिश कर रहा था। इसका परिणाम यह हुआ कि अधिकांश नए ऐल्बम दोहराए गए या श्रोताओं को ऐसा महसूस हुआ कि उन्होंने ये गाना पहले से ही सुन रखा है। म्यूजिक चैनलों ने युवा जीवनशैली कार्यक्रमों को अधिक दिखाना शुरू कर दिया, जिससे संगीत से जुड़े कार्यक्रमों में कमी आई। 3 साल चलाने के बाद चैनल वी ने पुरस्कार समारोह को भी बंद कर दियाअंत में  चैनल ने पॉप म्यूजिक बनाने की बजाय, अपना ध्यान पुराने हिंदी फिल्मी गानों को रीमिक्स करने की ओर स्थानांतरित किया।

                 20वीं शताब्दी की शुरूआत में केवल कुछ ही कार्य सफल हुए। इनमें शान का तन्हा दिल, आशा भोंसले- अदनान सामी का ऐल्बम कभी तो नजर मिलाओ और कैलाश खेर का कैलासा  शामिल था।  सोनू निगम, शान और के.के जैसे कई पॉप गायक बॉलीवुड में चले गए। हिन्दी फिल्म संगीत ने अपना शासन जारी रखा नए संगीतकारों के साथ , जिन्होंने फिल्मी संगीत को एक ताजापन दिया और इंडिपॉप का सपना समाप्त हो गया। 

                 आज, लोकप्रिय गैरफिल्मी संगीत ने बड़े पैमाने पर वापसी की है। अब एल्बमों की जगह सिंगल पर ध्यान स्थानांतरित किया गया है जिसे  यूट्यूब और ऑनलाइन स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म ने लॉन्च किया है। हालांकि, कुछ लोकप्रिय कृत्य फलेफूले, परंतु आलिशा चिनॉय, दलेर मेहंदी, कोलोनियल  कजीन्स या लकी अली की लीग में कोई स्टार नहीं आयेउम्मीद है, संगीत उद्योग पिछली गलतियों से सीख लेगा। इस शैली के पक्ष में एकमात्र बात यह है कि हिन्दी फिल्म संगीत आज एक निराशाजनक स्थिति में है। फिल्मी और गैरफिल्मी संगीत दोनों का भविष्य इस साल तय किया जाएगा।

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