Tuesday, December 24, 2024
spot_img

डॉ. आनंद श्रॉफ के हेल्थ लाइव @ सीनियर्स टुडे से सीखने योग्य बातें

कितने अंतराल पर नेत्र विशेषज्ञ के पास जाना चाहिए? मोतियाबिंद के लक्षण क्या हैं?   एंटी-फटीग चश्मा क्या है? हमें एंटी-ग्लेर चश्मे क्यों पहनने चाहिएँ? लाइटों से आँखों पर क्या असर पड़ता है? ये और ऐसे अन्य कई प्रश्नों के उत्तर डॉ. आनंद श्रॉफ ने शनिवार 18 जुलाई को हेल्थ लाइव @ सीनियर्स टुडे शृंखला में दिए

शनिवार 18 जुलाई को हेल्थ लाइव @ सीनियर्स टुडे ने प्रसिद्ध नेत्र विशेषज्ञ और सर्जन डॉ. आनंद श्रॉफ को वरिष्ठ नागरिकों की आँखों की देखभाल की समस्याओं पर पाठकों से बातचीत करने के लिए आमंत्रित किया.

डॉ. श्रॉफ एक अग्रणी नेत्र विशेषज्ञ और सर्जन हैं, और उन्होंने रेलेक्स स्माइल, लैसिक, ब्लेडरहित एपिलैसिक, सी3आर, ग्लौकोमा तथा कॉर्निया के रोगों, एकोमोडेटिव तथा टोरिक इंप्लांट वाले मोतियाबिंद में विशेष प्रवीणता प्राप्त की है.

एडवांस्ड एकोमोडेटिव तथा मल्टीफोकल लेन्स इंप्लांट की तकनीक और विधियाँ अपनाने वाले सर्वप्रथम नेत्र चिकित्सकों में से वे एक हैं. देश में वेवफ्रंट गाइडेड और टोपोग्राफ़ी गाइडेड लैसिक में वे सर्वप्रथम हैं. अत्यंत अनुभवी रीफ्रैक्टिव सर्जन्स में से वे एक हैं और उन्हें लैसिक और मोतियाबिंद सर्जन होने का 17 वर्षों का अनुभव है. उन्होंने 20,000 से अधिक लैसिक प्रक्रियाएँ और 20,000 से अधिक मोतियाबिंद के ऑपरेशन किए हैं और आगे करना जारी रखा है. वे एक ग्लौकोमा विशेषज्ञ हैं, तथा बॉम्बे हॉस्पिटल के भूतपूर्व कंसल्टिंग सर्जन हैं, और इन दिनों मुंबई के श्रॉफ आय हॉस्पिटल, बांद्रा, तथा श्रॉफ आय क्लीनिक, मरीन ड्राइव में कार्यरत हैं.

ये रहीं डॉ. आनंद श्रॉफ के हेल्थ लाइव @ सीनियर्स टुडे के सत्र से सीखने योग्य कुछ बातें.

1 अपनी दृष्टि का ध्यान रखें – बढ़ती उम्र के साथ लेन्स पुराना हो जाता है, धुंधलाने लगता है और आप ठीक से देख नहीं पाते. जैसे ही आपको अपनी दृष्टि में कोई परिवर्तन लगे तो तुरंत अपनी आखों की जाँच कराएँ. तत्काल जाँच कराने से आँखों के और खराब होने से बचा जा सकता है.

2 मोतियाबिंद सफ़ेद या काला हो सकता है – उम्र के साथ, दृष्टि धुंधली और खराब होने लगती है. यदि मोतियाबिंद सफ़ेद हो तो वह तेज़ी से बढ़ता है. आँखें धुंधलाने लगती है और दृष्टि कमजोर हो जाती है. यदि मोतियाबिंद काला हो तो वह पीले रंग से शुरू होकर, फिर गाढ़ा पीला, फिर भूरा और अंत में काला हो जाता है. इससे से भी दृष्टि की क्षति होती है.

3 मोतियाबिंद के लक्षण – भिन्न व्यक्तियों के भिन्न लक्षण होते हैं. मोतियाबिंद के आरंभ में प्रकाश के प्रति संवेदना, धुंधलापन, नंबर का बार बार बदलना आदि लक्षण होते हैं.

4 मोतियाबिंद का ऑपरेशन सुरक्षित है – आजकल मोतियाबिंद के ऑपरेशन में इंजेक्शन, टाँकों, या ऑपरेशन के बाद पैच लगाने की आवश्यकता नहीं पड़ती. माइक्रोस्कोपिक इन्सीशन तकनीक से मोतियाबिंद का ऑपरेशन अब तनाव-रहित प्रक्रिया बन गया है.

5 विस्तारित डेप्थ-ऑफ-फोकस लेन्स (ई डी ओ एफ) – यह एक अत्यधिक फोकस वाला सिंगल फोकस लेन्स होता है. बहुत लोग मोतियाबिंद के ऑपरेशन के बाद इसी को चुनते हैं. यह एक नए प्रकार का लेन्स है जो आपको दिन और रात में अपने आसपास की सभी चीज़ें साफ देखने में सहायक होता है. ई डी ओ एफ से आप चश्मा पहनना छोड़ सकते हैं.

6 साइनस के दर्द से छुटकारा  – अपनी कनपटी और नाक पर थोड़ा सा विक्स वेपोरब मलें और भाप लें. ठंडी चीज़ें न खाएँ, शीत पेय न पिएँ, नमक के पानी से गरारे करें. भाप का सेवन करें, मुँह बंद रखकर नाक से भाप लें. ए सी से आ रही हवा से दूर रहें, और ठंड के मौसम में खिड़की के पास या बाल्कनी न खड़े हों. बहुत कम या बहुत अधिक तापमान से बचें, दोपहर के समय किसी काम से बाहर निकलने से साइनस हो सकता है जिससे सिर दुखने लगता है, क्योंकि बाहर का तापमान आपके ए सी वाले कमरे से अधिक होता है. जब भी सिर धोएँ तो ध्यान रखेँ कि ए सी और खिड़कियाँ बंद हैं, और आप बाहर आएँ तो कमरे का तापमान सामान्य है.

7 लाइटें आवश्यक हैं  – लाइट की किस्म से आँखों पर ज़ोर पड़ सकता है. घर की लाइटें अनावृत्त होने के बदले ढँकी हुई होना बेहतर है. प्रतिबिंबित लाइटें आँखों पर बोझ नहीं डालतीं.

8 आपको एंटी-ग्लेर चश्मे की आवश्यकता नहीं – एंटी-ग्लेर चश्मे एम एस डॉस के लिए बनाए गए थे – पहले जब स्क्रीन काली और उसपर लिखाई चमकदार हरे रंग की हुआ करती थी, इससे एक विषम गुलाबी रंग का दृश्य उत्पन्न होता था. इसलिए एंटी-ग्लेर चश्मे का आविष्कार किया गया. लेकिन आजकल आसपास की रोशनी अच्छी होने से एंटी-ग्लेर की आवश्यकता नहीं रही.

9 यह एक मानसिक बेचैनी हो सकती है – जब आप किसी की आँखें लाल देखते हैं तो आपको बेचैनी सी होने लगती है. आप ने शायद दरवाज़े की उसी नॉब को या कुर्सी को या आइपैड को छुआ हो, पर जैसे ही आप किसी की लाल आँख देखते हैं तो एक खुजलाहट सी महसूस करते हैं और अपनी आँख को छूते हैं, जिससे से आँख संक्रमित हो जाती है. अर्थात, संक्रमण आँख को छूने से होता है.

10 एंटी-फटीग चश्मे पहनकर प्रकृति को छलें – आँखें दूर की दृष्टि के लिए बनी हैं, लेकिन मनुष्य अब तकनीक पर इतना निर्भर है, उसे नज़दीक की दृष्टि से अधिक काम लेना पड़ता है – और नज़दीक की दृष्टि आपकी आँखों की शक्ति को कम कर देती है. यदि आप कंप्यूटर, फ़ोन, आइपैड पर बहुत समय बिताते हैं तो एंटी-फटीग चश्मे पहनना आवश्यक है क्योंकि इससे आपके चश्मे का नंबर बढ़ेगा नहीं.

11 नज़दीक की दृष्टि का एक अतिरिक्त चश्मा साथ रखें – आजकल आपको कंप्यूटर स्क्रीन पर बहुत समय बिताना पड़ रहा है – ज़ूम कॉल, विडियो… तो एक अतिरिक्त नज़दीक का चश्मा रखना बेहतर है. ध्यान रखें कि यह बहुत पुराना न हो, इसकी पावर सही हो, और आप हर आधे घंटे में एक ब्रेक अवश्य लें.

12 ल्यूब्रिकेंट आय ड्रॉप्स – अगर आप कंप्यूटर पर अधिक समय बिताने वाले हैं तो शुरू करने से पहले आँखों में कुछ ल्यूब्रिकेंट आय ड्रॉप्स डाल लें. इससे आँख की सतह पर एक तह बन जाएगी और आपको बार बार आँख झपकाना नहीं पड़ेगा.

13 मधुमेह के लिए एचबीए1सी टेस्ट कराएँ – जब आपको अनियंत्रित मधुमेह होता है तो ऑक्सिजन ग्रहण करने की मात्रा क्षमता हो जाती है, और आपके अवयवों को ऑक्सिजन की आपूर्ति कम होती है. कालांतर में इससे आपके रेटिना पर धब्बे पड़ सकते हैं, और आगे अधिक क्षति हो सकती है. एचबीए1सी टेस्ट कराकर अपनी शुगर के स्तर का पता लगाएँ.

14 साल में एक बार आँखें अवश्य चेक कराएँ – साल में एक बार आँखों का चेक-अप कराना बेहद ज़रूरी है क्योंकि कुछ छुपे रोग हो सकते हैं जो आँखों पर बुरा प्रभाव डाल रहे हों.

15 ग्लौकोमा एक छुपा हुआ रोग है – ग्लौकोमा एक ऐसा रोग है जिसमें आपकी दृष्टि कम होती जाती है. पहले पार्श्व दृष्टि, फिर ट्यूबुलर दृष्टि. यदि आपके परिवार में किसीको  ग्लौकोमा हुआ हो तो आपको भी इसके होने की संभावना अधिक हो जाती है. ग्लौकोमा होने को आप रोक नहीं सकते, और इसका निराकरण भी संभव नहीं. इसलिए दृष्टि का विकार हो तो ऑप्टीशियन (चश्मा बनानेवाले) के बजाए नेत्र विशेषज्ञ डॉक्टर से मिलना चाहिए.

16 आँखों को विश्राम दें – आँखों का अत्यधिक उपयोग होता है इसलिए उनके व्यायाम की कोई आवश्यकता नहीं. जब आप सो रहे होते हैं तब आप स्वप्न देख रहे होते हैं – रैपिड आय मूवमेंट में. नींद के शेष समय में आपकी आँखों को विश्राम मिलता है. अतएव व्यायाम के बदले आँखों को विश्राम की अधिक आवश्यकता होती है. आँखों पर कुछ समय के लिए (हथेलियों से) कप बनाएँ, या सभी बत्तियाँ बुझाकर अंधेरे में देखें, और आँखों को विश्राम दें.

17 आँखों के एकल (स्टैंड अलोन) अस्पताल में जाना सुरक्षित है – कोविड 19 के समय में आँखों के एकल अस्पताल जाने में समझदारी है. यह अन्य अस्पतालों में जाने से बेहतर होगा, जहाँ और भी रोगों के उपचार चल रहे होते हैं.

प्रत्यक्ष भेंट अथवा टेले-कंसल्टिंग के लिए डॉ. आनंद श्रॉफ 022–66921000 पर उपलब्ध हैं.

Latest Articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Stay Connected

0FansLike
2,116FollowersFollow
8,210SubscribersSubscribe

Latest Articles