शनिवार 20 जून को हेल्थ लाइव @ सीनियर्स टुडे ने प्रसिद्ध गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट डॉ. प्रसन्न शाह को पेट के रोगों की समस्याओं पर बातचीत करने के लिए आमंत्रित किया.
पिछले सप्ताह हेल्थ लाइव @ सीनियर्स टुडे में प्रसिद्ध गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट डॉ. प्रसन्न शाह ने सीनियर्स टुडे के पाठकों के प्रश्नों के उत्तर दिए. अभूतपूर्व महामारी और ‘न्यू नॉर्मल’ के इस काल में वरिष्ठों के पेट के स्वास्थ्य पर इस प्रश्नोत्तर सत्र से उपस्थितों को पाचन, बद्धकोष्ठता को बेहतर समझने का अवसर मिला, साथ ही यह भी जानने का कि समग्र स्वास्थ्य के लिए पेट कितना महत्वपूर्ण अवयव है.
डॉ. शाह ने एक अन्य छिपी महामारी का भी उल्लेख किया – मोटापा. उच्च रक्तचाप (हाइपरटेंशन) और मधुमेह मोटापे को बढ़ावा देते हैं, और मोटापा उनको. उन्होंने बताया कि कैसे हम विश्व के सबसे अधिक मोटापे वाले देश बनते जा रहे हैं.
ये रहीं वेबिनार से सीखने योग्य बातें:
पाचन की प्रक्रिया – पेट फेफड़ों के नीचे स्थित एक छोटा सा अवयव है – यह हृदय की पंक्ति में है और शरीर के ऊपरी भाग का एक अंग है. जब किसी को पेट में अस्वस्थता लगती है तो वह उदर के ऊपर हाथ फिराता है, जबकि पेट एक छोटा सा अवयव है जो एसिड का निर्माण करता है, तथा भोजन को लुगदे (प्युरे) के रूप में मथकर अंतड़ियों में भेजता है जहाँ पोशक तत्व अवशोषित किए जाते हैं.
पेट एसिड निर्माण करनेवाला अवयव है – पेट भोजन को मथने के लिए एसिड निर्माण करनेवाला अवयव है, जब पेट में एसिड की मात्रा अधिक हो जाती है तो लोग एसिड की कई समस्याएँ अनुभव करते हैं. एक आम शब्द है ‘एसिडिटी’, जलन की वह अनुभूति जो छाती की हड्डी से गले तक फैल जाती है. इसे रिफ्लक्स या पेट की जलन भी कहते हैं.
अपने शौच को जानें – दो या तीन दिन में एक या दो बार शौच के लिए जाना बद्धकोष्ठता कहलाता है. दिन में एक या दो बार जाना सामान्य है. पाँच या उससे अधिक बार शौच जाना अतिसार है. यह भी जानना ज़रूरी है कि शौच अपने आप होता है या आपको बहुत ज़ोर लगाना पड़ता है.
मूल शब्दावली का ज्ञान – जब आप डॉक्टर के पास जाएँ तो समस्या यह है ऐसा मानकर न चलें, मूलभूत मगर सही शब्दों में अपनी तकलीफ बताएँ. गैस, पेट का फूलना, बद्धकोष्ठता, एसिडिटी, सीने में जलन… उपयोग करने से पहले शब्दों को समझ लें.
गूगल बहुत ज़्यादा जानकारी देता है – गूगल पर रोग के विषय में ढेर सारी जानकारी पढ़ना अच्छा है, इससे बीमारी के बारे में एक दृष्टिकोण मिलता है. लेकिन आपको अपनी तकलीफ के बारे में जानने के लिए शब्दों से परे भी पढ़ना पड़ता है, और यह काम एक डॉक्टर करता है. अपने रोग का स्वयं निदान न करें, इसके परिणाम भयानक हो सकते हैं. यह काम डॉक्टर को ही करने दें.
पेट फूलने के सामान्य कारण – अगर आप बहुत तेज़ी से कुछ खाते या पीते हैं तो आप हवा भी निगलते हैं जिससे पेट फूल जाता है. अतएव, धीरे धीरे खाएँ या पिएँ. पेट फूलने का एक और कारण है छोटी आंत में बैक्टीरिया की मात्रा का बढ़ जाना (एस आइ बी ओ ), जिससे गैस होती है और पेट फूल जाता है.
रिफ्लक्सर और उनके उपाय – तली हुई चीज़ें, चीज़, कॉफी, लहसुन, प्याज़, पुदीना, शराब, धूम्रपान, ये सब आम रिफ्लक्सर हैं (जिन पदार्थों से एसिडिटी होती है). अगर रिफ्लक्स लंबे समय तक चले तो छह से आठ हफ्तों तक इन्हें लेना बंद कर दें, फिर धीरे धीरे अल्प मात्रा में लेना शुरू करें. एसिड रिफ्लक्स पर एक उपाय है कि बड़ा भोजन करने के बदले अनेक बार थोड़ा थोड़ा खाना.
एंटासिड अधिक न लें – बिना डॉक्टर की पर्ची के मिलने वाले एंटासिड सीमित मात्रा में लिए जाएँ तो कोई बात नहीं. अगर आप इनका अधिक सेवन करेंगे तो एंटासिड विफलता हो सकती है, जो बहुत गंभीर है.
दही सबसे उत्तम प्रोबायोटिक है – प्रोबायोटिक वह अच्छा बैक्टीरिया होता है जो अंतड़ियों के एस आइ बी ओ को कम करता है, अर्थात छोटी आँत में बैक्टीरिया का बढ़ना जिससे गैस होती है. प्रोबायोटिक के सेवन से पेट का फूलना और गैस कम होते हैं, आपकी बड़ी आँत स्वस्थ रहती है और शौच ठीक से होता है.
मधुमेह से शौच पर प्रभाव पड़ता है – मधुमेह आँतों के कार्य की गति को धीमा कर देता है, और इससे शौच के चलन पर भी असर होता है, मधुमेह नियंत्रण में हो तब भी.
क्रोह्न का रोग और अल्सरेटिव कोलाइटिस – ये अंतड़ियों की सूजन के रोग हैं (इन्फ़्लेमेटिव बॉवेल डीसीज़). ये रोग होने पर आपको दूध लेना पूरी तरह से बंद कर देना चाहिए – मिल्कशेक, आइस्क्रीम, कुल्फी… लेकिन आप दही, चीज़, घी, मक्खन जैसे डेयरी उत्पाद ले सकते हैं. तनाव से बचने की कोशिश करें, उससे सूजन तीव्र हो सकती है.
अवसाद (डिप्रेशन) से पेट की समस्याएँ हो सकती हैं – हमारे शरीर में मस्तिष्क और अंतड़ियों की बीच एक माध्यम है जिसके द्वारा मस्तिष्क पेट को संदेशे भेजता है, जिसके प्रत्युत्तर में पेटदर्द, अतिसार अथवा बद्धकोष्ठता हो सकते हैं.
उत्तम आहार – अच्छी मात्रा में प्रोटीन – 40 से 60 ग्राम, कुछ फाइबर, अल्प से मध्यम मात्रा में कार्बोहाइड्रेट, प्रचुर मात्रा में पेय. यदि चावल या आलू जैसे कार्बोहाइड्रेट से आपको तकलीफ होती है तो आप इन पदार्थों के प्रति असहिष्णु है.
जान लें कि आप क्या खा रहें, और आपको क्या खा रहा है – जब आपको संतुलित आहार लेने के बावजूद पेट की समस्याएँ सताती हैं तो इसका अर्थ है कि आप तनाव या चिंता से पीड़ित हैं.
भोजन की अनियमित आदतें – देर रात तक फिल्म-टीवी देखना और खाते रहना, आपके सर्केडियन रिदम, अर्थात सोने-जागने की लय को बदल देता है. इससे एसिड रिफ्लक्स हो सकता है, जिससे अपचन और पेट की अन्य बीमारियाँ हो सकती हैं – बद्धकोष्ठता, उत्तेज्य पेट, कार्य की एकाग्रता पर प्रभाव पड़ना.
मोटापे के बढ़ने-घटने का चक्र – स्वस्थ और चुस्त रहने में आहार और व्यायाम का बड़ा हाथ होता है. बैरीएट्रिक सर्जरी या अन्य विभिन्न एंडोस्कोपिक प्रक्रियाओं से आपका वज़न कम तो हो सकता है, लेकिन अपना वज़न घटाए रखने के लिए आपको व्यायाम करना और आहार पर ध्यान देना ज़रूरी है. अगर इस में व्यवधान आता है तो आप फिर से अधिक खाने और वज़न बढ़ने के दुश्चक्र में फँस जाएंगे.
फाइबर के अभाव से डायवर्टिकुलर रोग हो सकता है – ये बड़ी आँत के अंदर बनी छोटी छोटी थैलियाँ (पाउच) होती हैं, जो अधिक समय तक भोजन में फाइबर न होने के कारण उत्पन्न होती हैं. विभिन्न आकार वाले एक या अधिक डायवर्टिकुला हो सकते हैं.
रात्रि के भोजन के बाद चॉकलेट खाना बुरा है – कोको एक रिफ्लक्सर है और मीठे से वज़न बहुत बढ़ता है. इससे एसिड रिफ्लक्स होगा, आपका मधुमेह बिगड़ेगा, और यदि आप प्रीडाएबेटिक हैं तो आपको मधुमेह हो जाएगा. पर मन के संतोष के लिए आप सप्ताह में एकाध बार एक छोटा सा टुकड़ा खा सकते हैं.
वरिष्ठों के लिए ओक्सिमीटर आवश्यक है – घर में एक पल्स ओक्सिमीटर का होना ज़रूरी है, खासकर वरिष्ठों के लिए. ओक्सिमीटर आपके शरीर में ऑक्सिजन की संतृप्ति (सैचुरेशन) दर्शाता है. यदि यह 98-100 है तो ठीक, लेकिन अगर 93-90 के बीच हो तो डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए क्योंकि आपको साँस का रोग होने की संभावना है.
थोड़ा थोड़ा करके अनेक बार खाएँ, 5-7 गिलास पानी पिएँ, और दिन में 3000-6000 कदम चलें. स्वस्थ पेट ही हमें स्वस्थ रखता है!