जब बात आपके हौसलों/जोश को बढ़ाने की हो तो, संगीत सबसे पहले आता है। दिल को खुश करने वाले 10 ऐसे फिल्मी गानें नरेंद्र कुसनूरजी के सूची से।
हर किसी को खुशनुमा संगीत पसंद आता है। संगीत हमारे मन की ऐंठन को खोलने का सबसे उत्तम जरिया है। जैसा की ओसिबिसा दल ने गाया है “संगीत की धुन में नाच लो, संगीत खुशी देता है”।
कोई तय सूत्र नहीं होता एक अच्छा गाना बनाने के लिए। चाहे ये गाने रोमांटिक/ प्रेमगीत हो या किसी अवसर को मनाने वाला हो। कई बार साधारण धुन का गीत भी आपको शब्दों के कारण खुश कर देता है और कभी-कभी कुछ साधारण से गाने आपके पैरों को झूमने से नहीं रोक पाते।
इसलिए हमने 10 ऐसे गानें हिन्दी सिनेमा जगत से चुनें हैं जो किसी नियम से नहीं बँधे हैं। हम इसे पसंद करते हैं क्योंकि ये हमें सुकून देते हैं, तो चलो झूमो, नाचो और मस्ती में खो जाओ।
- इचक दाना– श्री 420(1955)
इस गाने के चुलबलेपन के कारण यह गाना हमारे कानों में लंबे समय तक बजता है और हमारे हृदय को प्रशन्नचित करता है।
यह गाना राज कपूर, नर्गिस दत्त और स्कूली बच्चों पर फिल्माया गया जिसमें शंकर– जयकिशन का उर्जा से भरा संगीत, हसरत जयपुरी के बोल, लता मंगेशकर और मुकेश की आवाज है।
2.ईना मीना डीका– आशा (1957)
यह गाना भारत के पहले Rock N Roll गानों में से एक है , जिसे सी. रामचंद्रा ने अपने संगीत में पिरोया है जो बच्चों के खेल “Eenie Meenie Miny” से प्रेरित है।
इस गाने को आशा भोंसले और किशोर कुमार दोनों ने अपनी अपनी आवाज दी है, परंतु किशोर कुमार का संस्करण अधिक लोकप्रिय हुआ। मुखरे में गीतकार राजेन्द्र कृष्ण ने ऐसे शब्दों का प्रयोग किया जिसका कोई अर्थ नहीं निकलता परंतु यह काम कर गया।
3.अखियाँ भूल गयी हैं सोना– गूंज उठी शहनाई (1959)
गीता दत्त एक बहुमुखी प्रतिभा की गायिका थी, और इस गाने में उनकी जुगलबंदी स्वरकोकिला लता मंगेशकर के साथ क्या खुब जमी है। भरत व्यास जी की लिपिबद्ध की गई पँक्तियाँ “अखियाँ भुल गयी हैं सोना, दिल पे हुआ है जादू टोना” बीते दिनों की याद दिलाती हैं, जिसे महान संगीतकार वसंत देसाई ने संगीत से सजाया है।
4.किसी की मुस्कुराहटों पे– अनाड़ी(1959)
राज कपूर और मुकेश का जादू फिर से चला, जिसमें उनका साथ शंकर–जयकिशन ने अपने संगीत से दिया। कपूर साहब इस गाने में सड़कों पे झूमते गाते नज़र आते हैं,
और शलेंद्र की पंक्तियाँ “माना अपनी जेब से फकीर हैं, फिर भी यारों दिल के हम अमीर हैं” हृदय पर एक प्रभाव छोड़ जाती है।
5.मैं हूँ झूम झूम झूमरू– झूमरू(1961)
किशोर कुमार ने इस उतार चढ़ाव वाले गाने में क्या सुन्दर आलाप लिया है जो सुनने वाले को मंत्रमुग्ध करता है। मजरूह सुल्तानपुरी के गीत को किशोर कुमार ने संगीत से सजाया और अपनी आवाज दी।
ये एक कठिन गाना है जिसे बहुत सारे लोगों ने पार्टियों और अंताक्षरी प्रतियोगिताओं में गाने का प्रयास किया ।
6.याहू– जंगली (1961)
जिस अंदाज में रफी साहब ने ये गाना शुरू किया, हमें पता चल गया की ये एक खुशनुमा गाना है। शम्मी कपूर जी का नृत्य सायरा बानू जी की उपस्थिती और बर्फ की चादर में लिपटा वो दृश्य गाने में रँग भरता है। शैलेंद्र के लिखें बोल को शंकर–जयकिशन ने अपने संगीत से सजाया है ।
7.ये दिल ना होता बेचारा– ज्वैल थिफ (1967)
जब गानें में उल्लास और उत्सुकता की बात हो तो देव आनंद साहब कहां पीछे रहने वाले हैं। उनकी अनोखी चाल इस गाने में अलग ही रँग भरती है, और “ये दिल ना होता बेचारा” गाने में प्रमाणित होता है। एस. डी. बर्मन का संगीत, जिसे मजरूह सुल्तानपुरी ने लिपिबद्ध किया और किशोर कुमार जी ने अपनी आवाज दी। इस फिल्म में तनुजा सहायक भूमिका निभाती नजर आई।
8.उठे सब के कदम– बातों बातों में (1979)
यह एक मस्ती भरा गाना है जिसमें अमित खन्ना की कलम और राजेश रौशन के संगीत का जादू है। यह गाना अमोल पालेकर, टीना मुनिम, रंजीत चौधरी और पर्ल पदमसी पर फिल्माया गया जिन्होंने इस गाने में लता मंगेशकर और अमित कुमार के साथ अपने सुर मिलाए ।
9.दुक्की पे दुक्की हो– सत्ते पे सत्ता (1982)
यह एक चुलबुला सा गाना है, जो बड़े कास्ट को लेकर फिल्माया गया है जिसमें अमिताभ बच्चन और हेमा मालिनी मुख्य भूमिका में हैं। गुलशन बावरा के शब्दों को आर.डी. बर्मन ने अपनी धुन से सजाया, आशा भोंसले और किशोर कुमार ने गाया और अन्य गायकों ने उनका साथ दिया।
“मौसम मस्ताना”, इस फिल्म का दूसरा प्यारा समूह गीत है।
10.आला बर्फी – बर्फी (2012)
इस मस्ती भरी धुन में रणबीर कपूर का अद्भुत अभिनय देखते ही बनता है। इस गाने की बुदबुदाहट कर्णप्रिय है जिसमें स्वानंद किरिकङे के गीत को आवाज मोहित चौहान ने और संगीत प्रीतम दा ने दिया।