सही मायने में, एक युग की समाप्ति हो गई। पंडित जसराज की आवाज ऐसी थी कि किसी भी रेंज में कोई भी भावना व्यक्त करती थी। उनके अचानक निधन से, दुनियाभर के उनके प्रशंसक इस दुखद घटना से उभरने का प्रयत्न कर रहे हैं। हम आपके लिए, नरेंद्र कुसनूर के द्वारा चुनें गए ऐसे 10 गाने लेकर आए हैं, जिन पर पंडित जसराज ने पिछले कई वर्षों में महारत हासिल की थी। वे अक्सर गाने को शुरू करने से पहले अपने अनोखी शैली में “जय हो” का पाठ करते थे।
पंडित जसराज के संगीत कार्यक्रमों के अंतिम लम्हों में, आपके रोंगटे खड़े हो जाते थे, जब पंडित जसराज अपने हाथों को आसमान की ओर उठाते थे और संगीत जादू की कभी न खत्म होने वाली धाराओं में, प्रभु का नाम जपते थे। मेवाती घराना के उस्ताद, जिनका निधन 90 वर्ष की आयु में बीते सोमवार(17 अगस्त) को हो गया, श्रोताओं को दूसरी दुनिया में ले कर जाते थे।
ख्याल के गायन के लिए उनके बहुत सारे अनुयायी बने और भक्ति संगीत की प्रस्तुति के लिए उनकी बहुत प्रशंसा की जाती थी। चाहे वह कृष्ण भजन हो, गुरु नानक शब्द, हवेली संगीत या देवी काली का आह्वान हो, वो आपको मंत्रमुग्ध करते थे। और यह अनुभव संगीत कार्यक्रमों तक ही सीमित नहीं था, क्योंकि लोग अपने संग्रह को संवारने के लिए उन रिकॉर्डों को खरीदते थे।
सही मायने में, एक युग की समाप्ति हो गई। जसराज के पास एक ऐसी आवाज थी जो किसी भी सीमा में, कोई भी भावना व्यक्त करती थी। दुनियाभर के उनके प्रशंसक इस दुखद घटना से उभरने का प्रयत्न कर रहे हैं। हम आपके लिए, नरेंद्र कुसनूरके द्वारा चुनें गए ऐसे 10 गाने लेकर आए हैं, जिन पर पंडित जसराज ने पिछले कई वर्षों में महारत हासिल की थी। वे अक्सर गाने को शुरू करने से पहले अपने अनोखी शैली में “जय हो” का पाठ करते थे। ये धुनें हमेशा जीवित रहेंगी।
1.मंगलम भगवान विष्णु
यह एक श्लोक है, जिसकी पंक्तियाँ, “मंगलम भगवान विष्णु, मंगलम गरुड़ ध्वजा, मंगलम पुंडरी काक्षो, मंगलाय तनो हरि” है। सामान्य रूप से, इसे प्रातःकाल में गया जाता है, परंतु पंडित जसराज अक्सर इसे, संगीत कार्यक्रमों के प्रारंभ में भी गाते थे।
2.मेरो अल्लाह मेहरबान
इस गाने की रचना राग भैरव में की गई है। यह, उनके प्रातःकाल संगीत कार्यक्रमों में गाया जाने वाला एक पसंदीदा गीत था। “मेरो अल्लाह मेहरबान, कोई बिगाड़ सकत नहीं तेरो, अक्सर ये गाना, वो बैक–अप गायकों के साथ गाते थे, जो इस पंक्ति को दोहराते रहते थे, जिससे एक मंत्र मुग्ध कर देने वाला प्रभाव बनता था।
3.ओम नमो भगवते वासुदेवाय
यह एक सदाबहार पसंदीदा गाना है, जो राग भीम पलाशी में है। पुनः, पंडित जसराज ने इसका नेतृत्व किया है और इनके शिष्य इनके बाद गाना शुरू करते है। इस गीत का प्रतिपादन हमेशा एक मंदिर का माहौल देता है और दर्शक निरपवाद रूप से इसके मुख्य पन्क्तियों के साथ गाना शुरू कर देते हैं।
4.हनुमान लला
यह एक हनुमान स्तुति भजन है, जिसकी शुरुआत “हनुमान लला मेरे प्यारे लला” से होती है। उस्ताद ने इस गाने को ऑनलाइन हनुमान जयंती फेसबुक शो पर गाया था, जिसका आयोजन लॉकडाउन के दौरान इस साल के आरंभ में किया गया था। और इसका प्रतिपादन उत्तम था ।
- पवन पूत हनुमान
उनके सबसे सुखदायक ख्यालों में से एक, यह गीत राग हंसध्वनि पर आधारित है। जब वे “पुत पवन तू राम के” गाते हैं तो राग धीरे-धीरे और विशाल रूप में बनना शुरू हो जाता है। उनके द्वारा द्रुत ख्याल में गाया गया गाना “ले जा रे भद्रा संदेशवा” भी मंत्र मुग्ध करता है।
- व्रजे वसंतम
यह एक कृष्ण भजन है, जो राग मिश्रा काफ़ी में है,जिसकी बहुत प्रभावित करने वाली पंक्तियाँ, “व्रजे वसंतम नब नित कोरम” हैं। कृष्णा कृष्णा का चरमोत्कर्ष, श्रोताओं को दूसरी दुनिया में ले जाता है।
7.माता कालिका
इस गीत को संगीत समारोहों में सुनने के लिए बहुत अनुरोध किया जाता है। इस मध्यालय की रचना राग अदना में की गई है, जो देवी काली को समर्पित है। “जगत जननी भवानी भवानी भवानी” पंक्ति, भक्ति रस में डूबी है। पंडित जसराज की एकल रिकॉर्डिंग और शिष्या तृप्ति मुखर्जी के साथ उनकी प्रस्तुति, दोनों ही लोकप्रिय है।
- माई सांवरे रंग राची
1970 के दशक में, जसराज द्वारा रचित जयदेव की गीत गोविंद में, राग भैरवी में, इस मीरा भजन का उपयोग किया गया था। यह तब से नियमित रूप से हर संगीत कार्यक्रमों में गाया जाता है, जिसकी पंक्तियाँ कुछ इस तरह हैं, “गया कुमटदा राधा संग, श्याम प्रीति जग साची”।
- निरंजनी नारायणी
यह गाना, देवी दुर्गा को समर्पित है। इसकी रचना जसराज के भाई स्वर्गीय पंडित मणिराम ने की थी और इसे गुजरात के साणंद के महाराणा जयवंत सिंह वाघेला ने लिखा था। यह गाना, अक्सर प्रशंसकों द्वारा अनुरोध किया जाता है।
- सुमिरन कर ले
जसराज ने राग भैरवी में, इस गुरु नानक भजन में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया। वे गाते है, “देह नैना बिन, रैन चंद्र बिन, मंदिर दीप बिना, जैसे पंडित वेद बिना, तैसे प्राणी हरि नाम बिना”, दिव्य है।