जनवरी हमें कुछ पकोड़े, गर्म चाय और मौसम के ऊपर बनाऐं गए गानों पर बात करने के लिए उत्तम अवसर प्रदान करता है
इस समय, जैसें ही हम नए साल में प्रवेश करते हैं, यह भारत के कुछ हिस्सों में ठंडा है और दूसरों में सुहाना। किसी भी तरह से, यह पकौड़ों, गर्म चाय और मौसम की बात करने वाले गीतों के लिए एकदम सही मौसम है।
यहां, हमने 10 गाने चुनें हैं जो आपको अच्छा महसूस करवाऐंगें। सूची कालानुक्रमिक है।
- ठंडी हवाऐं- नौजवान (1951)
यह एक क्लासिक था, जिसका संगीत एस.डी. बर्मन ने दिया, लता मंगेशकर द्वारा गाया गया और नलिनी जयवंत पर फिल्माया गया। साहिर लुधियानवी ने लिखा, “ठनडी हवाऐं, लैहरा के आऐ, रुत है जवाँ, तुमको यहाँ कैसे बुलाएं”। कहानी यह है कि एस.डी. बर्मन ने मुंबई के एक होटल में एक पियानो वादक को अरब नाइट्स की धुन बजाते हुए सुना और उस से प्रेरित होकर यह गीत बनाया।
- ठंडी हवा काली घटा – मिसटर और मिसेज़ 55 (1955)
खूबसूरत मधुबाला पर फिल्माए गया, इस गीत को शानदार तरीक़े से कोरियोग्राफ किया गया था। महान गीता दत्त ने ओ.पी.नैय्यर द्वारा रचित धुन को मजरूह सुल्तानपुरी के लेखन के साथ गाया, “ठंडी हवा, काली घटा, आ ही गई झूम के, प्यार लिए डोले हँसी, नाचे जिया घूम के”।
- मस्ती भरा है समा – परवरिश (1958)
लता मंगेशकर और मन्ना डे ने तालबद्ध मास्टर दत्ताराम द्वारा रचित इस प्रफुल्ल रोमांटिक गीत को गाया, दत्ताराम शंकर-जयकिशन के सहायक थे। माला सिन्हा और राज कपूर पर इस गीत का चित्रण किया गया था। हसरत जयपुरी ने लिखा, “मस्ती भरा है समां, हम तुम हैं दोनों यहां ऑखों में आजा, दिल मे समां जा, झूंमे ज़मीन आसमान”।
- सुहाना सफर और ये मौसम हसीन – मधुमती (1959)
महान दिलीप कुमार खुले स्थलों में मौसम का आनंद लेते हुए चलते हुए दिखाई दिये। सलिल चौधरी द्वारा धुन तैयार की गई, इसे मुकेश ने गाया और शैलेन्द्र ने लिखा, “सुहाना सफ़र और ये मौसम हसीन, हमें डर है हम खो ना जाएं कहीं”।
https://www.youtube.com/watch?v=7AvTTbQMpcI
- ठंडी हवा ये चांदनी सुहानी – झुमरू (1961)
यह गाना किशोर कुमार ने तैयार किया, गाया और उन पर ही फिल्माया गया था।यह एक प्रमुख हिट था। मजरूह सुल्तानपुरी ने पंक्तियाँ लिखीं, “ठंडी हवा ये चांदनी सुहानी, ऐ मेरे दिल सुना कोई कहानी”। इस गीत मे मधुबाला को पहले पियानो बजाते हुए दिखाया गया फिर वह एक बाहारी इलाके में चली गई। किशोर की हलकी योडलिंग एक मुख्य आकर्षण है।
https://www.youtube.com/watch?v=P73YWHL6qiE
- ये समा – जब जब फूल खिले (1965)
लता मंगेशकर द्वारा गाया गया एक मधुर गीत, यह नंदा और शशि कपूर पर चित्रित किया गया था। कल्याण जी-आनंद जी ने संगीत दिया, और आनंद बख्शी ने इन अविस्मरणीय शब्दों को लिखा “ये समा, समा है ये प्यार का, किसी के इंतजार का, दिल ना चुरा ले कहीं मेरा, मौसम बहार का”।
7 मौसम है आशिकाना – पाक़ीज़ा (1972)
लता मंगेशकर द्वारा गाया गया एक और अद्भुत गीत, यह राग यमन में बनाया गया था और मीना कुमारी पर चित्रित किया गया था। संगीत गुलाम मोहम्मद ने दिया था। फिल्म का निर्देशन करने वाले कमाल अमरोही ने ही गीत लिखा, “मौसम है आशिकाना, ऐ दिल कहीं से उनकों, ऐसे में ढूंढ लाना”।
8 मौसम मौसम, लवली मौसम – थोडी सी बेवाफाई (1980)
संगीत निर्देशक खय्याम का एक बहुत अलग लेकिन स्थितिजन्य गीत, इसे अनवर और सुलक्षणा पंडित ने गाया था। गुलज़ार भी अपनी सामान्य शैली से विचलित हुए, हालांकि उन्होंने अपने ‘मधम मधम’ जैसे ट्रेडमार्क शब्दों का भी इस्तेमाल किया। लोकप्रिय अभिनेत्री पद्मिनी कोल्हापुरे और कम प्रसिद्ध सिद्धार्थ रे स्क्रीन पर दिखाई दिए।
- अलबेला मौसम कहता है स्वागतम – तोहफ़ा (1984)
1980 के दशक में जीतेन्द्र और जयाप्रदा ने कई फिल्मों में अभिनय किया और यह सफल फिल्मों में से एक थी। लता मंगेशकर और किशोर कुमार द्वारा गाया गया, धुन बप्पी लहरी द्वारा रचित और इंदीवर द्वारा लिखी गई थी। एक अच्छे मौसम गीत के अलावा, इसे बच्चों के साथ गाया जाने वाला एक पारिवारिक गीत भी माना जाता था।
- ये मौसम का जादू – हम आपके हैं कौन (1994)
सलमान खान और माधुरी दीक्षित इस ख़ुश नुमा, रोमांटिक गाने में नज़र आए, जिसे राम लक्ष्मण ने संगीतबद्ध किया और लता मंगेशकर और एस पी बालासुब्रमण्यम ने गाया। रवींद्र रावल ने गीत लिखा और मुख्य पंक्तियाँ थीं “ये मौसम का जादू है मितवा, ना अब दिल पे काबू है मितवा, नैना जिसमें खो गए, दीवाने से हो गए, नज़ारा वो हरसु है मितवा”।