Saturday, November 23, 2024
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चूहेदानी 13 फरवरी, 2021 – वरिष्ठतम द्वारा

एनेट म्यूलर लिखती हैं, महामारी और लॉकडाउन एक एहसास दिलाता है कि जीवन एक जाल के अलावा और कुछ नहीं है – लेकिन यह देखने का सिर्फ एक नज़रिया है।

अंदर से देखा गया जाल

लॉकडाउन, बंद दुकानें, बड़े स्तर पर मेल-जोल, पार्टियाँ ,यात्राएँ और अन्य बाहरी सुखों का निषेध, हमें खुद को प्रतिबिंबित करने के लिए मजबूर करता है। वहां और क्या करने के लिए है? हम अपने बारे में सोचते हैं, और कैसे हमारे जीवन को संभवतः एक वैश्विक वायरस द्वारा इतनी जल्दी खतरा हो सकता है। जीवन की पवित्रता और हमने इसे क्या बनाया है या यह हमारे लिए क्या करता है? क्या हम सचेत रूप से अपने जीवन के प्रभारी हैं या हम वर्षों तक ऐसे ही रहते हैं जैसा कि हम वर्षों से करते आ रहे हैं? खुश होना या ना होना कोई मायने नहीं रखता। मुख्य बात सुविधा है।

                        लेकिन अब, सीमित विक्षेपों और बाहरी सुखों के समय में, क्या यह हमारे लिए खुद को पहचानने का मौका हो सकता है? मैं क्या कर रहा हूँ? मैं कैसे जीऊँगा? क्या मैं ऐसे ही जीना चाहता हूं?

             यदि हम स्वयं का सामना करना चाहते हैं, तो हम अब खुद से दूर नहीं भाग सकते और कभी-कभी हमें एहसास होता है :

                 हम अपने जीवन में फंसे हुए हैं और यह ठीक है क्योंकि हम इस जगह को अच्छी तरह से जानते हैं। बाहर, हर कोई नया और अज्ञात होगा। अंदर एक “शानदार व्यक्ति” है और यह वह जगह है जहाँ हम रहना चाहते हैं। भले ही यह हमारे जीवन की लागत हो।

                 हम अपने जीवन में फंसे हुए हैं और शायद हम लंबे समय के लिए फँस सकते हैं – हमने यह एहसास भी नहीं किया और ना ही इस बात पर ध्यान दिया । हम अंदर बैठे है जैसे पिंजरे के अंदर बैठे हों, “शानदार व्यक्ति” हमारे अंदर है और हम केवल सलाखों के माध्यम से “बाहर” देख रहें हैं। लेकिन हम जाल, पिंजरे पर भी ध्यान नहीं देते हैं, क्योंकि हम इसके अभ्यस्त हैं। इसकी सुरक्षात्मक सलाखें भी हमें सुरक्षा देती हैं और हमें एहसास नहीं है कि सुरक्षा की यह भावना केवल एक जाल है।

                 फिर हम ध्यान से “ शानदार व्यक्ति” में अवगुण ढूंढ़ते हैं । बस हमें थोड़ी सी खुशी देने के लिए इतना काफी है। अगर हम ज्यादा नहीं चाहते हैं, तो पिंजरे में कम से कम सब कुछ ठीक लगता है। सब कुछ बाहर अलग दिखता है।

                               हमें यह पता है। लेकिन हम बाहर क्या उम्मीद कर सकते हैं ? हम इसे सलाखों के माध्यम से देख सकते हैं। कोई सीमा नहीं, कोई स्वतंत्रता नहीं, कोई परिचित परिवेश नहीं और ना ही कोई, “शानदार व्यक्ति” है । कम से कम पहली नज़र में तो नहीं दिख रहा। वास्तव में क्या करना चाहिए? हमें क्या पोषण देता है? सामान्य सीमाएँ और प्रतिबंध कहाँ हैं?

                    क्या हम वहां जीवित रह सकते हैं? “ एक शानदार व्यक्ति” के बिना? हमें कहां मुड़ना चाहिए? जब हमें रास्ता नहीं देखते हैं तो हम कितनी दूर जा सकते हैं और क्या उम्मीद करते हैं, तब क्या होता है …?

                    यह पता लगाने के बावजूद कि आप अंदर ठीक महसूस कर रहे हैं। हम जानते हैं कि हमारे पास क्या है और हमारे पास क्या नहीं है।

दरवाजा खोलने में कभी देर नहीं होती। शानदार व्यक्ति या नहीं…

बाहर से देखा गया जाल

लेकिन जाल के बाहर कैसा है? ज्ञात अज्ञात।

              हमने इसे सलाखों के माध्यम से देखा लेकिन इसका अनुभव नहीं किया और अब हम जानबूझकर या अनजाने में  बाहर हैं। अचानक, हम दूसरे किनारे पर हैं। हम अपना रास्ता कैसे ढूंढें?

               कहां से मुड़ना है? सामान्य तरीके कहां हैं? क्या हमें सुरक्षा प्रदान करते है? तो “शानदार व्यक्ति” कहाँ है?

                  कभी-कभी निगाहें लंबे समय तक तरसते हुए पिंजरे में सलाखों के माध्यम से वापस चली जाती हैं। वापस जाओ? बाहर रहो? अज्ञात की खोज करों?

                    कदम दर कदम हम आगे जाने की हिम्मत करते हैं और ध्यान देते हैं कि कुछ नया हमारा बाहर इंतजार कर रहा है। सबसे पहले, हम सतर्क कदम उठाते हैं। अभी बहुत दूर नहीं और यह हमें चुंबक की तरह वापस जाल की ओर खींचता है। लेकिन जितनी देर हम बाहर रहने का प्रबंधन करते हैं, उतना ही हमें इस कदम का विरोध करना चाहिए। स्वतंत्रता की भावना अतीत के लिए भावुकता के साथ संयुक्त है। लेकिन हर गुजरते दिन के साथ, हर कदम के साथ, जाल क्षीण हो  जाता है और अपना आकर्षण खो देता है।

                       हम जिस दिशा में भी जाते है हमारे सामने अप्रत्याशित तथ्य हैं। कई अच्छे, कभी-कभी नकारात्मक, लेकिन नए होते हैं। हम खुद तय कर सकते हैं कि हम कहां और कितनी दूर जाना चाहते हैं।

                       ऐसी कोई सलाखें नहीं हैं जो हमें सीमित करती हैं, केवल वे सलाखें जो हम स्वयं पर निर्धारित करते हैं और हम उन्हें प्रतिदिन पुनः स्थापित करते हैं जबतक कि हमें खुद नहीं लगता है कि उनकी आवश्यकता न हो।

                        शुरुआत में वे अभी भी मददगार हैं क्योंकि यही वह चीज है जिसका हम इस्तेमाल करते हैं, लेकिन समय के साथ जिंदगी उनके बिना ज्यादा रोमांचक हो जाता है। कई स्थितियों पर हम इतने बहादुर हैं कि हम जाल की चाबी फेंक देते हैं। फिर हम स्वतंत्र हैं क्योंकि पीछे मुड़ना नहीं है।

                   और सबसे महत्वपूर्ण है, हम अपनी हर एक खोज में एक नयापन पाते है और हम उसका उतना ही आनंद उठा सकते है, जितना हम चाहते हैं।

बाहर हमारा अपना जीवन है।

एनेट मुलर ज़्यूरिख, स्विट्जरलैंड में रहने वाली एक प्रॉपर्टी डेवलपर(संपत्ति विकासक) है।

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