प्रभाकर मूंदकुर लिखते हैं कि ब्रांड्स लगातार इस दबाव में है कि उसे यह दिखाना है कि सभी लोग एक समान है और कोई भेदभाव नहीं किया जा रहा है
जॉर्ज फ्लॉयड की मृत्यु, रंग पर आधारित भेदभावपूर्ण व्यवहार को देखने के तरीके पर, न केवल सांस्कृतिक प्रतिकृतियां थी, बल्कि इसने कई तरह से, ब्रांडों की दुनिया और जिस तरह से उनका विपणन किया जाता है, उसे हिला दिया है। एक ब्रांड की पहले जो भी मान्यता थी, अब यह विक्रेताओं के पुनर्मूल्यांकन लिए एक महत्वपूर्ण विभक्ति बिंदु बन गया।
ब्रांडों पर बढ़ते दबाव के कारण, वो यह दिखाना चाहते कि लोगों के बीच मतभेद के आधार पर अंतर नहीं करते हैं, और सभी को एक जैसा देखते हैं। ब्रांड्स और उपभोक्ता, अब सिर्फ विक्रेताओं और खरीदारों से कही अधिक बन गए हैं। पिछले एक दशक में, सामाजिक सक्रियता कुछ ऐसी रही है कि दुनिया भर के ब्रांडों को इसमें भाग लेने के लिए मजबूर होना पड़ा है।
विपणन रणनीति योजना के पिता, महान स्टीफन किंग ने एक बार कहा था, “ब्रांड्स मनुष्यों की तरह हैं”। यह कथन आज, पहले से कहीं अधिक महत्वपूर्ण है। यदि ब्रांड्स वास्तव में लोगों की तरह हैं, तो यह मांग करता है कि ब्रांड- जैसे लोग- निष्पक्ष, न्यायपूर्ण और गैर-भेदभावपूर्ण होंगे।
नाइकी ने अपने प्रसिद्ध विज्ञापन के टैग लाइन “Just do it” को बदल कर अब “Don’t do it” कर दिया है
फेयर एंड लवली जैसे कुछ ब्रांड, जिनके अस्तित्व का आधार ही काली और गोरी त्वचा के भेद पर आधारित था; अपनी छवि को पुनः बनाने के लिए, उन्हें भी उन अंतरों को भंग करना और अतीत में दफनाना प़डा है। अपने इरादों को प्रमुख रूप से बताने के लिए उन्होंने अपने ब्रांड, फेयर एंड लवली का नाम बदलकर ग्लो एंड लवली रख दिया। परंतु, इतना ही नहीं है, आशापूर्ण है कि भविष्य में आने वाले विज्ञापन किसी भी तरह से, गोरी महिला को काली महिला की तुलना में बेहतर नहीं दिखाएगा। इसलिए, जिन ब्रांडों ने अतीत में भेदभाव किया है, अब वो इस बात में व्यस्त हैं कि जो उन्होंने अतीत में किया है उसे सुधारे, ताकि लोगों द्वारा उन्हें माफ किया जा सके।
एडेलमैन ट्रस्ट बैरोमीटर 2020 ने दिखाया कि अमेरिका में, नस्लवाद को लेकर 63% लोग चिंतित थे। यह कोई आश्चर्य की बात नहीं है, कि ज्यादातर ब्रांडों ने जॉर्ज फ्लॉयड की मौत को इसका कारण बनाया। लेकिन, क्या ब्रांडों से सामाजिक मुद्दों को उठाने की उम्मीद की जाती है? फिर से, एडेलमैन ट्रस्ट बैरोमीटर, हमें यह बताता है कि उपभोक्ता, ब्रांडों से यह अपेक्षा कर रहे है कि वो, सामाजिक मुद्दों को उठाए।
हालांकि, सबसे दिलचस्प यह है कि नाइकी जैसे ब्रांड, जो कभी भी भेदभाव नहीं करता, भेदभाव के मुद्दे को उठाते हैं और दिखाते हैं कि ब्रांड के तौर पर वो कैसे हैं। अपने नवीनतम विज्ञापन में यह कहते हैं कि सभी खिलाड़ियों को समान बनाया गया है, जो इस साल के सबसे अधिक चर्चित विषयों में से एक होगा। न केवल, वो उन भावनाओं की भरपाई करने में कामयाब रहे है, जो इस महामारी(कोविड-19) ने हमारे साथ किया हैं; अपने विज्ञापन के द्वारा, यह भी कहने में कामयाब रहे हैं कि सभी खिलाड़ी समान हैं। हर खेल के खिलाड़ी, व्यथा और विजय से गुज़रते है, चाहे वो किसी भी नस्ल, लिंग, धर्म, यौन अभिविन्यास या कोई भी खेल खेलते हो।
नाइकी विज्ञापन का मुख्य फ्रेम #youCan’tstopUs है
इसका शीर्षक #YouCan’tStopUs, यह कह रहा है कि, यहां तक कि कोविड-19 महामारी किसी की भावना को यह महसूस करने से नहीं रोक सकता कि यह खेलों को बंद नहीं कर पाएगा। आखिरकार, बंद जिम और खाली स्टेडियमों ने पूरे खेल समुदाय को प्रेरणाहीन कर दिया है। इस विज्ञापन में आशा के बारे में एक शक्तिशाली संदेश है। नाइकी के इस विज्ञापन में 24 खेल, 53 खिलाड़ी और 72 खेल क्रम को दर्शाया गया है।
क्या नाइकी केवल एकमात्र ब्रांड है, जिसने दुनिया को हिला देने वाली घटना पर प्रतिक्रिया दी है? अमेज़ॅन ने ट्विटर पर एक विज्ञापन को जवाब दिया, जिसने नस्लीय भेदभाव के मामले को काफी मजबूती से उठाया था।
भविष्य में, अधिकांश ब्रांड अपना समर्थन दिखाएंगे और यह सुनिश्चित करेंगे कि वे ऐसे कदम न उठाएं, जो भेदभाव की बात होने पर न्याय की अपनी भावना को दर्शा सकते है। अमेज़न, डिज़नी और रीबॉक अपने विज्ञापनों के साथ इस घटनाक्रम के साथ जुड़ गए है।
तेजी से, हमारे आस-पास हर कोई, चाहे वह सहकर्मी हो, दोस्त हो या साधारण उपभोक्ता, हर समय न्याय की माँग कर रहे हैं। यह उन याचिकाओं की संख्या से स्पष्ट है, जो change.org जैसी संस्था के साथ तैयार की गई है। न्याय की यह मांग, बाजार में ब्रांडों तक फैली हुई है। लोग चाहते हैं कि उनके ब्रांड, उनके साथ खड़े रहें जैसे कि वे न्याय के लिए लड़ रहे हो। यह विशेष रूप से नई पीढ़ियों यानी सहस्त्रब्दियों(मिलेनियल्स) और जेड पीढ़ियों के लिए सच है।
पिछले कई वर्षों में, ब्रांड का उद्देश्य किसी ब्रांड के लिए किसी अन्य रणनीति दस्तावेज की तुलना में अधिक महत्वपूर्ण हो गया है; यह परिभाषित करता है कि ब्रांड, दुनिया के बारे में कैसे सोचता है, और पैसे बनाने के अलावा इसके होने का क्या कारण है। लगभग एक दशक पहले, एक ब्रांड के लिए सिर्फ एक लाभ का उद्देश्य होना ठीक था, लेकिन अफसोस अब और नहीं।
ब्रांड का नाम बरकरार रखना, एक ब्रांड का उद्देश्य और लक्ष्य होता है। और 2020 ने ब्रांडों को अपने लोकाचार में, न्याय की भावना को शामिल करने के लिए मजबूर किया है।
बेंजामिन फ्रैंकलिन ने यह कहा था, “न्याय, तब तक नहीं मिलेगी, जब तक कि जो लोग इससे अछूते है; वो भी उतने ही क्रोधित हो; जितने कि अन्य लोग इस नस्ल भेद से प्रभावित हैं ” । जॉर्ज फ्लॉयड की घटना, इस कथन को सच साबित करती है।