31जुलाई को मो.रफी की 40वीं पुण्यतिथि मनाने के लिए, नरेंद्र कुश्णूर ने उनके 10 गाने चुनें हैं जो ‘याद’ की एक सामान्य भावना को व्यक्त करते हैं।
महान गायक मोहम्मद रफी के निधन को 40 साल हो गये हैं। उनके गाने, निश्चित रूप से अमर हैं और बड़ी संख्या में श्रद्धांजलि संगीत कार्यक्रमों, रेट्रो रेडियो शोज या टैलेंट हंट प्रतियोगिताओं में गाए जाते हैं। रफी साहब के सिर्फ 10 गानों की सूची बनाना असंभव था, यहाँ तक की अगर हम खुश गाने, रोमांटिक गाने या उदासी भरे गाने चुनते तब भी यह संख्या अपर्याप्त होती।
31 जुलाई को उनकी 40वीं पुण्यतिथि मनाने के लिए हमने उदासीनता, याद, जुदाई और लालसा के एक सामान्य विषय के साथ 10 गाने चुननें का निर्णय किया। उनमें से कुछ को या तो दुःख भरे या रोमांटिक गाने की श्रेणी में रखा जाता है, लेकिन इनमें से कई गीतों पर याद की भावनाओं को व्यक्त किया है। यह क्रम तिथि अनुसार है।
1.सुहानी रात ढ़ल चुकी – दुलारी (1949)
यह गाना, गायक मोहम्मद रफी, संगीत निर्देशक नौशाद और गीतकार शकील बदायूनी की प्रतिभाओं के संयोजन से बना था। गाना सुरेश पर फिल्माया गया जिसमें मधुबाला cameo करती नजर आती है। गाने की पंक्तियाँ “तड़प रहे हैं हम यहाँ तुम्हारे इन्तेज़ार में” इसकी मनोदशा को बताती है।
2. आपने याद दिलाया – आरती (1962)
रफी साहब की गाई इस ग़ज़ल “आपने याद दिलाया तो मुझे याद आया,की मेरे दिल पे पड़ा था कोई गम का साया” को प्रदीप कुमार और मीना कुमारी पर फिल्माया गया। मजरुह सुल्तानपुरी के बोल और रौशन के संगीत से सजे इस गाने की कुछ अंतिम पंक्तियाँ को लता मंगेशकर ने गाया।
3. याद न जाए- दिल एक मंदिर (1963)
शैलेन्द्र का लिखा और शंकर जयकिशन की धुनों से सजा यह सुंदर गीत, उदासी भरा है। गाने की पंक्तियाँ ‘दिन जो पखेरु होते, पिंजरे में मैं रख लेता, पालता उनको जतन से, मोती के दाने देता, सीने से रहता लगाए’ बेहतरीन था। गाने को राजेंद्र कुमार पर फिल्माया गया, गाने में मीना कुमारी को राजेंद्र कुमार के यादों के दृश्य में दिखाया गया है।
4. याद में तेरी जाग–जाग के – मेरे महबूब (1963)
मोहम्मद रफी और लता मंगेशकर ने शकील बदायूनी के लिखे इस रत्न ‘याद में तेरी जाग–जाग के हम, रात भर करवटें बदलते हैं’ को अपनी आवाज दी। राजेंद्र कुमार और साधना पर फिल्माए गए इस गीत को नौशाद ने संगीत में पिरोया।
5. वो जब याद आये – पारसमणि (1963)
जोड़ी के रूप में लक्ष्मीकांत–प्यारेलाल की यह पहली फिल्म थी, जिसके बोल असद भोपाली के थे। मोहम्मद रफी और लता मंगेशकर का गाया यह गाना ‘वो जब याद आये बहुत याद आये’ बहुत सफल रहा।
6. दिन ढ़ल जाए – गाइड (1965)
यह एक अमर गीत है, जिसे देव आनंद और वहीदा रहमान पर फिल्माया गया। गाने की धुन एस.डी.बर्मन की थी और शैलेन्द्र की लिखी पंक्तियाँ कुछ इस तरह हैं, ‘दिन ढ़ल जाए हाय, रात ना जाए, तू तो न आए, तेरी याद सताये’। यह अक्सर देव आनंद और रफी साहब की सबसे बड़े संकलनों में चित्रित किया जाता है।
7. दिल ने फिर याद किया – दिल ने फिर याद किया (1966)
संगीत निर्देशक सोनिक–ओमी और गीतकार जी.एल.रावल ने एक साथ मिलकर अद्भुत काम किया। इस गाने में धर्मेंद्र के लिए मोहम्मद रफी, नूतन के लिए सुमन कल्याणपुर और रहमान के लिए मुकेश ने अपनी आवाज दी। श्री नगर के डल झील में शिकारे के ऊपर यह सुन्दर गाना फिल्माया गया। यह गाना एक बहुत बड़ा हिट था।
8. हम इंतजार करेंगे – बहू बेगम (1967)
साहिर लुधियानवी के लिखे गीत ‘हम इंतजार करेंगे तेरा,कयामत तक,खुदा करे कि कयामत हो और तू आये’ की धुन रौशन ने दी। गाना दो संस्करणों में था – पहले संस्करण में मो.रफी की एकाकी थी और दूसरे संस्करण को मो.रफी और आशा भोंसले ने गाया। गाने को प्रदीप कुमार और मीना कुमारी पर फिल्माया गया।
9. हुई शाम उनका ख्याल आ गया- मेरे हम दम मेरे दोस्त (1968)
धर्मेंद्र और शर्मिला टैगोर पर फिल्माए गए इस गाने के दृश्य में धर्मेंद्र नशे में धुत्त नजर आते हैं। मजरुह सुल्तानपुरी के लिखे इस गीत को लक्ष्मीकांत–प्यारेलाल ने अपनी धुनों से सजाया। यह गाना शराबियों और प्यार में ठुकराए हुए लोगों का पसंदीदा गाना बन गया।
10 तुम मुझे यूँ भुला ना पाओगे- पगला कहीं का (1970)
इस हिट गाने के दो संस्करण थे, जिसे क्रमशः मो.रफी और लता मंगेशकर ने गाया। गाने में धुन शंकर जयकिशन की थी और हसरत जयपुरी के लिखे बोल ‘वो बहारें वो चाँदनी रातें,हमने की थी जो प्यार की बातें’ गाने की भावना को चिन्हित करते है।