सोनवी खेर देसाई लिखती हैं कि यदि वरिष्ठ नागरिकों को अपनी संपत्ति पर नियंत्रण नहीं है, तो वो दुर्व्यवहार का आसान लक्ष्य बन सकते हैं
गैर सरकारी संगठन, हेल्पएज इंडिया के अनुसार, वरिष्ठ नागरिकों के दुर्व्यवहार से संबंधित पचास प्रतिशत से अधिक मामले, संपत्ति से संबंधित हैं। अपने जीवनकाल के दौरान, वरिष्ठों, आमतौर पर माता-पिता या करीबी रिश्तेदारों पर दबाव, बच्चों के नाम पर संपत्ति के बंटवारे से लेकर, बेचने से लेकर और उनके नाम लिखने तक होता है, जिसके लिए उनके साथ बुरा व्यवहार किया जाता है, जिसके कारण वे बीमार हो जाते हैं।
वकील सलाह देते हैं कि किसी के जीवनकाल में संपत्ति पर हस्ताक्षर करना, एक अच्छा विचार नहीं है। हालांकि, वास्तव में यह सलाह दी जाती है कि किसी को भी एक वसीयत बनानी चाहिए और आपके जीवनकाल के दौरान, बच्चों या रिश्तेदारों के साथ, अपनी वसीयत साझा करना एक अच्छा विचार नहीं है। एक वसीयत बनाएं और इसे सुरक्षित रूप से अपने वकील या किसी सुरक्षित स्थान पर रखें और किसी को भी इसमें लिखे बातों की जानकारी ना दे। इसके अलावा, वसीयत को बैंक के सुरक्षित जमा लॉकर में कभी न रखें क्योंकि लॉकर पर वसीयत का आधिकारिक प्रमाण(प्रोबेट) प्राप्त होने के बाद ही, उसपर पहुंच प्राप्त किया जा सकता है और वसीयत को, इसके आधिकारिक प्रमाण के बिना, ले जाने की अनुमति नहीं दी जा सकती।
दुर्व्यवहार के कारक
दुराचारी से निकटता होने के कारण, वृद्ध, संपत्ति से संबंधित दुर्व्यवहार के शिकार हो सकते है। अकेले और अलगाव में रहना, दुर्व्यवहार का एक और कारण हो सकता है। आजकल, कई बुजुर्गों के बच्चे, उनसे अलग या विदेशों में रहते है, जिसके परिणामस्वरूप, बुजुर्ग अलग रहते हैं और इसलिए वे बेईमान लोगों के लिए आसान लक्ष्य बन जाते हैं। कुछ आय अर्जित करने के लिए, वरिष्ठ कभी-कभी अपने घरों का कुछ हिस्सा किराए पर लगाते हैं और फिर पाते हैं कि किरायेदार, घर खाली करने से इनकार करता है और उनके साथ दुर्व्यवहार करता है । ऐसी स्थितियों में, बुजुर्ग भय में रहते हैं और कार्रवाई करने में असहाय होते हैं। उन्हें डर लगता है और इसलिए वे पुलिस से संपर्क करने में विफल रहते हैं।
जिन वरिष्ठ नागरिकों के साथ दुर्व्यवहार किया जाता है, उनको, माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों के रखरखाव और कल्याण अधिनियम 2007, के तहत न्यायाधिकरण से संपर्क करना चाहिए। इस अधिनियम में एक महत्वपूर्ण प्रावधान, संपत्ति के हस्तांतरण से संबंधित है, जिसे कुछ परिस्थितियों में शून्य बनाया जा सकता है। हालाँकि, वरिष्ठ नागरिकों को ट्रिब्यूनल से न्याय पाने के लिए, कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। सबसे पहले, सभी वरिष्ठ, पूर्ण रूप से चल–फिर नहीं सकते हैं या शिकायत दर्ज कराने और कार्यवाही से गुजरने के लिए, शारीरिक या भावनात्मक ताकत नहीं होती है। यह भी है कि अक्सर, ट्रिब्यूनल के कामकाज में काफी देरी होती है। हालांकि, यह सुनिश्चित करने के लिए कानून है कि वरिष्ठ नागरिकों की रक्षा की जाए, कानून का कार्यान्वयन कहीं अधिक कठिन है।
क्या करें
एक वरिष्ठ, जिसे ऐसा लगता है कि कोई उसकी संपत्ति हड़पने का प्रयास कर रहा है, उसके बारे में किसी से बात करना महत्वपूर्ण है। यह कोई आपका वकील, डॉक्टर या कोई भी हो सकता है, जिस पर आप भरोसा कर सकते है। ऐसी घटनाओं के लिए, गैर-सरकारी संगठनों द्वारा स्थापित कई हेल्पलाइन भी हैं। कई वरिष्ठ नागरिक, डर के कारण या किसी तरह से अपने दुराचारी पर निर्भर रहते है, ऐसी मुद्दों की रिपोर्ट नहीं करते है। उनमें, परिवार की प्रतिष्ठा की रक्षा करने की भी एक बहुत मजबूत भावना होती है, जिसके कारण वे अपने बच्चों से दुर्व्यवहार की रिपोर्ट नहीं करते हैं। यदि वरिष्ठ, इसके बारे में बात करते है, तो यह संभव है कि एनजीओ या अन्य संस्था, उनकी मदद करें। इस अधिनियम के तहत, वरिष्ठ नागरिकों को, उनके कानूनी अधिकारों के बारे में शिक्षित किया जाना चाहिए।
लोगों, पड़ोसियों, स्वास्थ्य पेशेवरों और अधिकारियों के दिमाग में, इस तरह के मुद्दों के बारे में सामान्य जागरूकता पैदा करना भी महत्वपूर्ण है- जो बुजुर्गों को दुर्व्यवहार की घटनाओं की रिपोर्ट करने में मदद कर सकता है। पुलिस विभागों को, बुजुर्ग समुदाय तक पहुंच और निगरानी के लिए, विशेष प्रकोष्ठों की स्थापना करने की आवश्यकता है, जिससे उन्हें अपनी समस्याओं के बारे में मुखर होने के लिए आवश्यक सहायता मिल सके। सरकार की ज़िम्मेदारी है कि वह बुजुर्गों की रक्षा करे और यह सुनिश्चित करने के लिए, अधिक से अधिक उपाय करे, जिससे वरिष्ठों को अपराधियों के विरुद्ध, रिपोर्ट करने में ज्यादा आत्मविश्वास हो।
संपत्ति से संबंधित अपराधों से वरिष्ठों की सुरक्षा उपलब्ध कराना, कानून के बावजूद भी एक मुश्किल काम है ।