1970 के दशक में एक जाना-माना नाम, मौसमी चटर्जी एक अभिनेत्री के रूप में प्रतिष्ठित थीं। कुछ यादगार गीत उन पर फिल्माए गए थे, और उनके 73 वें जन्मदिन के अवसर पर नरेंद्र कुशनूर ने उन गीतों की परिक्रमा की।
1970 के दशक में एक जाना-माना नाम, मौसमी चटर्जी एक अभिनेत्री के रूप में प्रतिष्ठित थीं। हालाँकि, बड़ी मशहूर फिल्मों ने उन्हें निकाल दिया, लेकिन उन्होंने अमिताभ बच्चन, राजेश खन्ना, शशि कपूर, विनोद मेहरा और ऋषि कपूर के साथ काम किया।
उन पर कुछ यादगार गाने फिल्माए गए थे, और 26 अप्रैल को उनके 73 वें जन्मदिन को चिह्नित करने के लिए, हम दस गानों का चयन करते हैं, इनमें से सात लता मंगेशकर द्वारा गाए गए थे, जिनकी आवाज़ उनके साथ पूरी तरह से मेल खाती थी।
- सुन री पवन – अनुराग (1972) :- जबकि उन्होंने इससे पहले बंगाली फिल्मों में अभिनय किया था, यह मौसमी की पहली प्रमुख हिंदी फिल्म थी, और उसने इस फिल्म में एक अंधी लड़की की भूमिका निभाई। यह गीत एक समुद्र तट पर फिल्माया गया, जिसे लता दवारा गाया गया और एस.डी. बर्मन ने इसे धुन दी,जिसमें संतूर और बाँसुरी का बेहद अच्छा उपयोग किया गया । आनंद बख्शी ने लिखा है, “सुन री पवन, पवन पुरवईया, मैं हूँ अकेली, अलबेली तू सहेली, मेरी बन जा साथिया” । फिल्म में विनोद मेहरा और अतिथि अभिनेता राजेश खन्ना भी थे।https://www.youtube.com/watch?v=vntO6clQBcE
- ओ हंसिनी – ज़हरीला इन्सान (1974) :- यह आर डी बर्मन के गीतों के खजाने में से एक था, जिसे किशोर कुमार ने गाया था। यह ऋषि कपूर पर फिल्माया गया था, जो अभी नया ही था, और मौसमी, ने इस गीत में सफेद कपड़े पहने हुए है। यह गीत मजरूह सुल्तानपुरी ने लिखा, “ओ हंसिनी, मेरी हंसिनी, कहाँ उड़ चली, मेरे अरमानों को पंख लगाके, कहाँ उड़ चली”। इस गाने को कर्नाटक में चित्रित किया गया था।
- तुमने पिया दिया – उस पार (1974) :- गीतकार योगेश ने पंक्तियाँ लिखीं, “तुमने पिया दिया सब कुछ मुझको अपनी प्रीत देके, राम करे यूँही बीते जीवन तुम्हरे गीत गई के”। इसकी रचना एस.डी. बर्मन ने की और गीत लता दवारा गाया गया। गीत ने सरल भावनाओं की बात की, जिन्हें श्रोताओं ने महसूस किया । इस बासु चटर्जी फिल्म में विनोद मेहरा और मौसमी को एक नाव की सवारी पर फिल्माया गया था।
- हम तुम गुम सूम – हमशक्ल (1974) :- यह आरडी बर्मन के मशहूर गीतों में से एक था, जिसमें ” झूमना झूमना ” का जिक्र था। सुपरस्टार राजेश खन्ना और मौसमी पर इसका चित्रण, किशोर और आशा भोंसले ने अपनी आवाज़ में किया था । पंक्तियाँ आनंद बख्शी की थीं, “हम तुम गुम सूम रात मिलन की, आजा गोरी सुन ले बात सजन की”।https://youtu.be/nDpjkm_A0WE
- संसार है एक नदिया – रफ़्तार (1975) :- अपने समय के दौरान एक विशाल रेडियो हिट, इस गीत को राग शिवरंजिनी में सोनिक-ओमी द्वारा संगीतबद्ध किया गया था। इसमें एक आकर्षण, वायलिन का शानदार उपयोग था। मदन पुरी और मौसमी पर फिल्माया गया, इसे मुकेश और आशा भोसले ने गाया था। इसमें अभिलाष ने पंक्तियाँ लिखीं, “संसार है एक नादिया, सुख दुख दो किनारे हैं, ना जाने कहाँ जाएँ, हम बहते धारे हैं” ।
- वादा करो जानम – सबसे बड़ा रुपैया (1976) :- किशोर और लता द्वारा एक अद्भुत युगल गीत, सुल्तानपुरी दवारा लिखा गया, “वादा करो जानम, ना छोड़ोगे यह दामन, ज़माना चाहे छूटे”। संगीत, बासु-मनोहारी द्वारा किया गया था, जो आर.डी. बर्मन की टीम का हिस्सा थे। विनोद मेहरा और मौसमी को पहाड़ी पृष्ठभूमि में देखा गया।
- रिमझिम गिरे सावन – मंज़िल (1979) :- किशोर और लता द्वारा , इस गीत के दो संस्करण थे । उत्तरार्ध में अमिताभ बच्चन और मौसमी के साथ मुंबई के स्थानों पर बारिश के दौरान खूबसूरती से शूटिंग की गई थी। आर डी बर्मन ने हिट गीत की रचना की, जिसे योगेश ने लिखा, “रिमझिम गिरे सावन, सुलग सुलग जाए मन, भीगे आज इस मौसम में, लगी कैसी यह अगन”।https://www.youtube.com/watch?v=s_7xSWZX23A
- सिमटी हुई यह घड़ियाँ – चंबल की कसम (1980) :- यह फिल्म बॉक्स-ऑफीस पर बहुत मशहूर हुई थी, और इसके बारे में अच्छी बात यह थी कि यह ग़ज़ल, खय्याम द्वारा सुरुचिपूर्ण ढंग से रची गई थी और लता और मोहम्मद रफ़ी द्वारा खूबसूरती से गाई गई थी । राज कुमार और मौसमी पर चित्रित, इसे साहिर लुधियानवी ने लिखा था। शुरूआती पंक्तियाँ थीं, “सिमटी हुई यह घड़ियाँ, फिर से ना बिखर जायें; इस रात में जी लें हम, इस रात में मर जायें”।
- मुझे छू रही हैं – स्वंयवर (1980) :- संगीतकार राजेश रोशन का कम पसंद किया गया एक सुंदर गीत था, यह एक अद्भुत लता-रफी युगल था । जिसके शब्द गुलज़ार ने लिखे, “मुझे छू रही हैं तेरी गर्म साँसें, मेरे रात और दिन महकने लगे हैं; तेरी नर्म साँसों ने ऐसे छुआ है, के मेरे तो पाँव बहकने लगे हैं”। यह गाना शशि कपूर और मौसमी पर फिल्माया गया था।
- मेघा रे मेघा रे – प्यासा सावन (1981) :- जीतेन्द्र और मौसमी के लिए एक हिट गीत, यह लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल द्वारा रचित था। शब्द संतोष आनंद के थे, जिन्होंने शुरू किया, “मेघा रे मेघा रे, मत परदेस जा रे, आज तू प्रेम का संदेस बरसा रे”। यह गीत लता और उभरते हुए स्टार सुरेश वाडकर द्वारा गाया गया था, और हालांकि इसे धूप के मौसम में शूट किया गया था, लेकिन अक्सर इसे प्रतियोगिताओं में बारिश के गीत के रूप में पारित किया जाता है।
अगर कोई गाने के क्लिप को देखता है,तो इस बात पर गौर किया जाता है कि मौसमी को हमेशा भारतीय पोशाक पहनाई जाती थी , जो अक्सर एक साड़ी होती थी। यह पहनावा उनको और उनके गानों के साथ पूरा मेल ख़ाता था ।