वरिष्ठ फिल्म निर्माता बासु चट्टर्जी, जिनका निधन आज (4 जून) को हो गया, वो सुनिश्चित किया करते थे कि गाने कहानी के अनुरुप हों जिसमें जीवन का सार हो, नरेंद्र कुसनूर की कलम से
फिल्मों के विषयों की तरह बासु चट्टर्जी ये विश्वास रखते थे कि उनके फिल्मों का संगीत सादगी से भरा और प्रभावशाली हो। फिल्म निर्माता जिनका निधन आज(4 जून को) हो गया, वो सुनिश्चित किया करते थे कि गाने कहानी के अनुरुप हों जिसमें जीवन का सार हो।
उनकी फिल्मों से ये स्पष्ट पता चलता है कि उनके पसंदीदा संगीतकार राजेश रौशन और सलील चौधरी थे, जिन्होंने बासु चट्टर्जी के साथ मिलकर कुछ यादगार काम किए। बात अगर गीतकारों की करें तो योगेश का नाम सबसे पहले आता है, जिन्होंने उनके साथ सबसे ज्यादा काम किया। योगेश का निधन 29 मई 2020 को हो गया।
बासु चट्टर्जी की फिल्मों से 10 गाने चुनने इतने सरल नहीं थे, और हम ‘उस पार’(विशेषकर मन्ना डे का गाना ‘पिया मैंने क्या किया’) और ‘शौकीन’ इस सूची में सम्मलित नहीं कर सके। हमने उनकी हर फिल्म से सिर्फ एक गाना चुना है, ‘रजनीगन्धा’ को छोड़कर, क्योंकि ये संभव नहीं था कि इसके दो गानों में से कोई एक हटा दें।
- ये जीवन है– पिया का घर (1972)
किशोर कुमार द्वारा गाया बहुत भावुक गाना जिसे आनंद बख़्शी ने लिखा और लक्ष्मीकांत–प्यारेलाल ने संगीत में पिरोया। जया भादुरी और अनिल धवन पर फिल्माए इस गाने की सुन्दर पँक्तियाँ कुछ इस प्रकार है “थोड़े गम हैं, थोड़ी खुशियाँ, यही हैं, छावं धुप”।
- रजनीगन्धा फूल तुम्हारे – रजनीगन्धा (1974)
सलील चौधरी का संगीत और लता मंगेशकर के स्वर से अलंकृत इस गाने को खुबसुरत विद्या सिन्हा पर फिल्माया गया था। योगेश के लिखे गाने के बोल कुछ इस तरह शुरु होता है, “रजनीगन्धा फूल तुम्हारे महके यूं ही जीवन में, यूं ही महके प्रीत पिया की मेरे अनुरागी मन में”।
- कई बार यूं ही– रजनीगन्धा (1974)
फिल्म ‘रजनीगन्धा’ का एक और खुबसुरत गाना जिसे विद्या सिन्हा और दिनेश ठाकुर पर फिल्माया गया था जो गाने के दृश्य में टैक्सी में बैठे नजर आते हैं। मुकेश के द्वारा गाए हुए इस उत्कृष्ट गानें को सलील चौधरी ने संगीत से सजाया है और योगेश का लिखा गाना कुछ इस तरह शुरु होता है “कई बार यूं ही देखा है, ये जो मन की सीमा रेखा है, मन दौड़ने लगता है”।
- जब दीप जले आना– चित्तचोर (1976)
गाने के संगीत में राग यमन का प्रयोग किया गया है जो राग यमन के प्रयोग का सबसे अच्छा उदाहरण पेश करता है। गाने को येसूदास की शानदार आवाज मिली और हेमलता ने उनका साथ दिया। रविन्द्र जैन के गीत और संगीत से सजा यह गाना अमोल पालेकर, ज़रीना वहाब और मास्टर राजू पर फिल्माया गया था। फिल्म के अन्य हिट गाने ‘गोरी तेरा गाँव’, ‘तू जो मेरे सुर में’ और ‘आज से पहले’ येसूदास की मखमली आवाज़ में है।
- जानेमन जानेमन – छोटी सी बात (1976)
यहाँ, लता मंगेशकर का गाया हुआ ‘छोटी सी बात’ और येसूदास–आशा भोंसले के द्वारा गाया गाना ‘जानेमन जानेमन’ के बीच में चुनाव करना था, पर हमने ‘जानेमन जानेमन’ गाने को चुना क्यूंकि यह मस्तीभरा और सरल गाना है जो सबकी जुबां पर आसानी से चढ़ जाता है।
एक बार फिर सलील चौधरी और योगेश ने साथ काम किया।
- का करूँ सजनी– स्वामी (1977)
यह गाना ठुमरी पर आधारित है, जिसे (ठुमरी) बड़े ग़ुलाम अली ख़ाँ ने मशहूर किया। गाने के इस संस्करण को येसूदास ने गाया था। हालांकि पारंपरिक धुन ‘राग सिन्धु भैरवी’ में थी लेकिन इस गाने को किरवानी में अनुकूलित की गई। राजेश रौशन का संगीत और अमित खन्ना के बोल हैं।
- कोई रोको ना –प्रियतमा (1977)
अंजान के गीत और राजेश रौशन की संगीत से सजे गाने को किशोर कुमार ने अपनी आवाज दी है। यह गाना मुख्यतः राकेश रौशन पर फिल्माया गया था पर गाने के दृश्य में जितेन्द्र और नीतू सिंह को भी देखा जा सकता है। गाने के बोल “कोई रोको ना दीवाने को, मन मचल गया कुछ गाने को” इसे पसंदीदा गाना बनाता है।
- थोड़ा है थोड़े की जरुरत है– खट्टा मीठा (1978)
गाने की मुख्य पँक्तियाँ गुलजार ने लिखी, जिससे उनके लेखनशैली की पहचान होती है। किशोर कुमार और लता मंगेशकर के स्वर से सजे इस गाने को राजेश रौशन ने संगीत में पिरोया है। गाने के सादगी के कारण इसे आज भी गुनगुनाया जाता है।
- रिमझिम गिरे सावन– मंजिल (1979)
यह गीत अविस्मरणीय वर्षा गीतों में से एक है। यह गाना दो संस्करणों में था। दोंनो ही संस्करण अमिताभ बच्चन और मौसमी चट्टर्जी पर फिल्माए गए। योगेश के बोल और आर. डी. बर्मन के संगीत से सजे गाने के संस्करणों को क्रमशः किशोर कुमार और लता मंगेशकर ने गाया है।
- उठे सब के कदम– बातों बातों में(1979)
यह एक मस्ती भरा गाना है जिसमें अमित खन्ना की कलम और राजेश रौशन के संगीत का जादू है। यह गाना अमोल पालेकर, टीना मुनिम, रंजीत चौधरी और पर्ल पदमसी पर फिल्माया गया जिन्होनें इस गाने में लता मंगेशकर और अमित कुमार के साथ अपने सुर मिलाए।