Friday, April 19, 2024
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पी.एल.ए का आर्टिलरी प्रौद्योगिकी अवशोषण, सैन्य स्तर और क्षमताएं

ब्रिगेडियर जी.बी रेड्डी(सेवानिवृत्त) लिखते हैं कि पीपल्स लिब्रेशन आर्मी (पी.एल.ए) आर्टिलरी में चार सबसे महत्वपूर्ण सफलताओं को समझना और उनकी क्षमताओं का निष्कर्ष निकालना अतिआवश्यक है।

चीन ने आर्टिलरी हथियारों, विशेष रूप से व्हीलड और मल्टी ​​बैरल लॉन्च रॉकेट आर्टिलरी सिस्टम(एम.आर.एल.एस) में असाधारण प्रगति की, लेकिन “म्यूनिशन” क्षेत्र में कहीं अधिक महत्वपूर्ण प्रगति की है।

1944 में, जोसेफ स्टालिन ने आर्टिलरी का स्वागत   “युद्ध के देवता” के रूप में किया था। 1959 में सैन्य अकादमी में आर्टिलरी पर परिचयात्मक व्याख्यान के दौरान, आर्टिलरी को “युद्ध के मैदान का राजा” कहा गया; और इन्फैंट्री को “युद्ध के मैदान की रानी” के रूप में जाना जाता था।

इसके अलावा, 1959 में “शेल” को असली हथियार के रूप में उजागर किया गया। आर्टिलरी गन, हॉवित्जर और मोर्टार, गोलीबारी के  लिए वितरण-साधन या मंच हैं। विडंबना यह है कि बहस का मुद्दा, यदि कोई है तो, वो केवल वितरण साधनों की संख्या पर ध्यान केंद्रित करती है, परंतु  “मुनिशन”(Munitions) पर नहीं, जो सबसे ज्यादा विनाशकारी है।

अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी विकास(तकनीकी युग) के बाद, आर्टिलरी कॉम्बैट प्रणालियों में जबरदस्त परिवर्तन हुआ है। हाल ही में, ट्रक-माउंटेड हॉवित्जर, पारंपरिक ट्रैक्ड आर्टिलरी  प्रणालियों की जगह ले रहे हैं, जिसने शूट-एंड-स्कूट(गोलीबारी करने के बाद अपने स्थान से शीघ्रता से हट जाना, ताकि दुश्मन के हमले से बचा जा सके) प्रकार के हमलों में अन्तरनिहित गतिशीलता का लाभ उठाता है और इसके अन्य लाभ, जो नीचे सम्मलित हैं:

  • तीव्र और दूरस्थ स्वचालित लोडिंग प्रणाली;
  • साधारण प्रक्षेप्य के साथ 30 किमी की अधिकतम दूरी मारक क्षमता, रॉकेट-असिस्टेड प्रोजेक्टाइल के साथ 40 किमी और एक्सकैलिबर विस्तारित रेंज, सटीक निर्देशित प्रोजेक्टाइल के साथ 60 किमी और बोनस प्रीसीजन निर्देशित प्रोजेक्टाइल के साथ अनुकूल है;
  • मल्टीपल-राउंड के साथ प्रभाव फायरिंग क्षमता- प्रत्येक विभिन्न प्रक्षेप पथ पर 30 सेकंड में 6 बार तक फायर करता है, ताकि सभी गोले एक ही समय में लक्ष्य पर पहुंचें;
  • संक्षिप्त पुन: परिनियोजन समय-  कार्रवाई का समय भी 30 सेकंड से कम है- काउंटर-बैटरी हमलों से बचने की अनुमति देता है;
  • यह ट्रैक आर्टिलरी प्रणाली, जितनी ही सक्षम, परंतु  उत्पादन और रख रखाव में कम खर्चीला;
  •  टोड माउंटेड हॉवित्जर हथियार के मुकाबले चपल और गतिशील; प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष हमलों के लिए क्षमता प्रदान करता है; और कुछ आर्टिलरी कॉम्बैट प्रणालियों में सशस्त्र कोच भी हैं।

पीपल्स लिब्रेशन आर्मी आर्टिलरी में चार सबसे महत्वपूर्ण सफलताओं को समझना और उनकी क्षमताओं का निष्कर्ष निकालना अतिआवश्यक है  और इसमें नीचे दिए गए निम्नलिखित बिंदु शामिल हैं:

  • चीन मल्टी ​​बैरल लॉन्च रॉकेट आर्टिलरी सिस्टम के शीर्ष 10   में 6 स्थानों पर अपनी पकड़ रखता है: पी.एच.एल-03, पी.एच.एल-16, ए.आर-1A, डब्ल्यू.एस-2,  ए-200/300 और ए-100
  • सटीक निर्देशित म्यूनिशन (सैन्य हथियार, गोलीबारी, उपकरण और हथियारों को रखने का गोदाम )
  • सेल्फ प्रोपेल्ड  (एस.पी)  व्हीलड के शीर्ष 10 में आते हैं: एस.एच-15 ट्रक-माउंटेड हॉवित्जर / पी.एल.सी -181 नए स्वयं स्व-चालित 155 मि.मी ट्रक-माउंटेड व्हीलड हॉवित्जर;
  • सेल्फ प्रोपेल्ड ट्रैक्ड वर्ग के शीर्ष 10 में आते हैं: पी.एल.जेड-52 एस.पी 155 मि.मी; और पी.एल.जेड-05 155 मि.मी हॉवित्जर; और पी.एल.जेड-07 122 मि.मी तीसरी पीढ़ी की बंदूक के साथ पी.एल.जेड-89 को बदलने के लिए;

ऊपर उल्लेखित चार में से, चीन ने मल्टी ​​बैरल लॉन्च रॉकेट आर्टिलरी सिस्टम(एम.आर.एल.एस) और सटीक निर्देशित मूनिशन प्रणालियों में सबसे महत्वपूर्ण सफलताएं हासिल की हैं। नीचे मुख्य बिंदुओं की समीक्षा की गई हैं:

PHL 03(मल्टीपल रॉकेट लॉन्चर):  2004-2005 में कथित रूप से चीनी सेना में प्रवेश मिला; इसकी अधिकतम मारक क्षमता 70-130 किमी की है, जो वॉरहेड  प्रकार की मशीन पर निर्भर करती है और कथित तौर पर इसकी अधिकतम मारक क्षमता  150 किमी है;  इसमें 300 मिमी रॉकेट के साथ डिजिटल फायर कंट्रोल सिस्टम के 12 ट्यूब है, जिसे चार सदस्यों का समुह संचालित करता हैं। इसके एक रॉकेट का वजन लगभग 800 किलोग्राम और इसके वॉरहेड का वजन 280 किलोग्राम है। उच्च विस्फोटक विखंडन, ईंधन-हवा विस्फोटक और क्लस्टर वॉरहेडस के साथ विरोधी कवच ​​और विरोधी-कर्मियों उप-म्यूनिशन के साथ है। क्लस्टर वॉरहेड,  स्व-लक्षित टैंक-रोधक म्यूनिशन को भी अंजाम दे सकता है; संभावित रूप से, पूर्ण सैल्वो, 67 हेक्टेयर तक के क्षेत्र को कवर करता है; और AR1, AR1A और  AR3 के लिए मार्ग प्रशस्त करता है, जो वर्तमान समय में इस प्रकार की सबसे शक्तिशाली प्रणाली है।

  • PHL-16 या PCH-191:   370 मिमी निर्देशित रॉकेट का प्रयोग करता है, जो पिछले  AR3 का संशोधित संस्करण है– इसकी अधिकतम मारक क्षमता 220 किमी है, जो सशस्त्र कोच के साथ है। इसे विभिन्न क्षमताओं वाले रॉकेट के प्रयोग के लिए, इसके आकार में बदलाव कर सकते है। सूत्रों के अनुसार, यह टैकटिकटल बैलिस्टिक मिसाइलों और एंटी-शिप मिसाइलों को लॉन्च करने में भी सक्षम है।
  • डब्ल्यू.एस-2, डब्ल्यू.एस-2, ए-200/300 और ए-100:   इनके निर्यात संस्करण।

प्रिसिजन गाइडेड म्यूनिशन के क्षेत्र में चीनियों ने महत्वपूर्ण सफलता हासिल की, जिसका पेशेवर विवरण, जून 2020 के क्लॉज (CLAWS) पत्रिका में छपा है। चीन की डब्ल्यू.एस-35 155 मिमी निर्देशित प्रक्षेप्य, जिसमें 100 किमी की अधिकतम दूरी तक की मारक क्षमता और 40 मीटर की सटीकता है। 1,620 मिमी लंबाई और 18 किलो वजन वाला, जिसमें जी.पी.एस(BeiDou) और आई.एन.एस(बैकअप के लिए) का प्रयोग किया गया है, जो उड़ान रवैया पर वॉरहेड को समायोजित करने के लिए 4 टेल एसटेबिलिटी   विंग और 4 एसटेबिलिटी विंग के साथ है, जिसने मुख्य रूप से पी.एल.जेड-05 को सक्षम बनाया है- रॉकेट सहायक शेल हमलों के लिए। प्रक्षेपवक्र के शीर्ष पर, सामने का हिस्सा, जो नेविगेशन सेंसर, एक जी.एन.एस.एस  रिसीवर, एंटीना, नियंत्रण उपकरणों और संभवतः एक साधक को एकीकृत करता है, को रोल-डिकपल्ड किया जाता है। फिर पंखों को उजागर किया जाता है जो अतिरिक्त दूरी हासिल करने में मदद करता है।

इसके अलावा, चीनी सी.एम-501 प्रणाली,  जो ए.आर 3  मिसाइल वाहन में शामिल हैं: अपने स्पाइक नॉन-लाइन-ऑफ-रॉकेट के विभिन्न आकारों की हैंडलिंग, जो एक ही ए.आर 3 8×8 हेवी ट्रक से मिसाइलों को  संचालित करने के लिए डिज़ाइन किए गए फली से छोड़ा  जाता हैं; ये टैकटिकटल बैलिस्टिक मिसाइलों और एंटी-शिप मिसाइलों के प्रेक्षपण करने में भी सक्षम है; विभिन्न कैलिबर के रॉकेट का उपयोग करने के लिए इसे  आकार  दिया गया है; शुरुआती ए.आर 3 मिसाइल वाहन,  300 मिमी रॉकेट, फायर ड्रैगन 480 टैकटिकटल बैलिस्टिक मिसाइलों और टी.एल-7बी एंटी-शिप मिसाइलों और  पी.एच.एल-16  370 मिमी निर्देशित रॉकेट जिसकी अधिकतम मारक क्षमता 220 किमी है- यह लेह तक पहुंच चुकी है।

अगला, 2-मीटर लंबा सी.एम-501जी.ए  जमीनी हमला करने वाला ऐसा मिसाइल है, जो 5 किमी से 40 किमी के बीच की  दूरी में स्थिर और चलायमान लक्ष्य पर हमला करने में सक्षम है।  इसका  व्यास 180 मिमी और वजन 100 किलोग्राम है और यह 20 किलोग्राम का विस्फोट-विखंडन वारहेड को अपने साथ ले जाने में सक्षम है। मिसाइल टर्मिनल मार्गदर्शन के लिए, एक संयुक्त टीवी/ इमेजिंग इन्फ्रारेड (IIR) साधक का उपयोग करता है। इसके अलावा BeiDou नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम (बी.डी.एस)  द्वारा आई.एन.एस( इनरसियल नेवीगेशन सिस्टम) सहायता प्राप्त है। सी.एम-501जी.ए के उत्पादक  ये दावा करते हैं कि मिसाइल में 1 मीटर से कम सर्कुलर एरर प्रोबैबलिटी    है(सी.ई.पी- एक सर्कल की त्रिज्या वास्तविक मूल्यांकन का 50 प्रतिशत होता है, जिसमें जी.पी.एस माप होता है)।

इसके अलावा, 2 मीटर लंबी सी.एम-501जी.एक्स, लोयट्रीनींग म्यूनिशन (एक हथियार प्रणाली श्रेणी है, जो अपने लक्ष्य के पास कुछ समय रहती और ढूँढती है, और एक बार उसकी स्थिति का पता लगने पर उसे नष्ट कर देती है) एक क्रूस मिसाइल का एक छोटा प्रारूप है, जिसमें एक छोटा जेट इंजिन लगा  है और जब इसका प्रक्षेपण करते है, तो पर इसके पंख बाहर आते है। यह  सतह और पानी, दोनों संस्करण में है  हैं। मार्गदर्शन विकल्प जैसे, इसमें सैटेलाइट/ इनरसियल नेविगेशन सिस्टम (INS), इमेजिंग इंफ्रारेड (IIR), सेमी-एक्टिव लेजर (SAL) होमिंग और पुनः  लक्षित,  जैसे निर्देशित विकल्पों  के  साथ  समायोजित है और इसकी मॉड्यूलर संरचना, इसे एक बहुमुखी प्रणाली बनती है। इसे दो विन्यासों में पेश किया जा रहा है:  खदान प्रतिरोधी घात  सुरक्षा वाहनों की  श्रृंखला के रूप में  6 × 6 APC, और  दूसरा  CSK181 पर  30 मिनट से अधिक समय तक,  यह 70 किमी तक की दूरी में लक्ष्यों को भेदने  के लिए इसकी संरचना  की गई है।

अंत में, चीनी, “न्यू जेनरेशन सिस्टम” के आर्टिलरी  गनों  को विकसित कर रहे हैं (जो पारंपारिक  आर्टिलरी  गनों का स्थान लेंगे), जिनमें शामिल हैं :  मैग्नेटाइज्ड प्लाज्मा आर्टिलरी, जो बैरल के अंदर, बारूद के बजाय चुंबकीय क्षेत्र बनाने के लिए, चुंबकीय क्षेत्र जेनरेटर का प्रयोग करता है। ग्लोबल टाइम्स के अनुसार, इनकी पारंपरिक 155 मिमी एस.पी हॉवित्जर की मारक  क्षमता 30-50 किमी की है।   घर्षण कम करने के बाद, सटीकता के अलावा इसकी मारकर क्षमता 100 किमी हो जाती  है। तिब्बती आकस्मिक  योजना के लिए, चीन दुनिया का पहला विद्युत-चुम्बकीय सतह से सतह पर मार करने वाला रॉकेट विकसित कर रहा है, जो अधिक से अधिक दूरी  की मारकर क्षमता  प्रदान करता है। नए विद्युत-चुम्बकीय रॉकेटों को अतिरिक्त विद्युत-चुम्बकीय बल का उपयोग करके लॉन्च किया जाएगा, जैसे कि गुलेल प्रक्षेपक के लिए चीन और अमेरिका अपनी रेल गनस का विकास  कर रहा है।

WeiShi-2 (WS-2), 400 मिमी  रॉकेट प्रणाली है, जिसमें 200-350 किमी की मारकर क्षमता वाले  रॉकेट के भिन्न प्रकार शामिल हैं। 2008 में, यह पता चला कि डब्ल्यू.एस-2 के लिए उप-मूनिशन विकसित किए गए हैं, जिसमें एक विशेष एंटी-रडार संस्करण भी शामिल है, जिसमें तीन यू.ए.वी रॉकेट है। एक बार जब रॉकेट को लक्षित क्षेत्र के लिए निकाल दिया जाता है, तो यू.ए.वी को भी अन्य उप-मूनिशन की तरह  ही, इसे जारी किया जाता है। यू.ए.वी जैसे ही हमले के लिए आगे बढ़ता है, साधक, लक्ष्य राडार संकेतों की तलाश करते हैं और एक बार रडार पर संकेत मिलने के बाद, यू.ए.वी अंदर आकर हमला करती है ।

लेज़र सर्विलांस सिस्टम, लिडार (प्रकाश और रडार का एक बक्सा), आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (ए.आई) और 5 जी तकनीक का उपयोग, छवियों और खुफिया जानकारी को  इकठ्ठा  करने और प्रसार करने के लिए तालमेल करता है। लिडार गैर-धातुओं, चट्टानों, एरोसोल, बादलों और यहां तक ​​कि रासायनिक यौगिकों के छवि  के लिए पराबैंगनी, दृश्यमान या अवरक्त प्रकाश का उपयोग करता है।

संक्षिप्त रूप में कहें तो, चीनी, बिजली की तेजी से आर्टिलरी प्रणालियों  में आश्चर्यचकित प्रगति कर रहे हैं। AI, 5G और उनके एकीकरण जैसे नवीनतम सर्वांगीण प्रौद्योगिकी विकास के साथ, आर्टिलरी का प्रयोग,  युद्ध के मैदान में हावी रहेगा।

2019 के सैन्य संतुलन के अनुसार, चीन ने लगभग  8,954 आर्टिलरी हथियार प्रणाली को सम्मलित किया हैं: 2120 एस.पी; 1234 x टोड; 1250 एक्स गन; 1550 x MRLs और 2,800 x मोर्टार। संपत्ति के विवरण में शामिल हैं:

  •  सेल्फ  प्रोपेल्ड आर्टिलरी गनस : 500 x पी.एल.जेड-89 122 मिमी; 350 x पी.एल.जेड-07A 122 मिमी; 150 x पी.एल.जेड- 07B 122 मिमी; 300 x पीसीएल – 09 122 मिमी; 350 x PLL-09 122 मिमी; 150 x पी.एल.जेड82 / 83 152 मिमी (स्टोर 200 में); 320 x पी.एल.जेड-05।
  • टोड हॉवित्जर गनस-500 x पी.एल-96 (D-30) (स्टोर में 2,800 पी.एल51-1); 234 x पी.एल -59 130 मिमी; 500 x पी.एल(D-20)।
  •  मल्टी बैरल रॉकेट लॉन्चर: 550 x पी.एच.एल- 81 / 90 122 मिमी; 350 x पी.एच.एल-11 122 मिमी; 375 x पी.एच.जेड -89 122 मिमी; 100 x पी.एच.जेड-11 – 122 मिमी; और 175 x पी.एच.एल-03 – 300 मिमी।

पी.एच.जेड-07 एक स्व-चालित 122-मिमी ट्रैक्ड हॉवित्जर है जिसकी रचना पी.एच.जेड- 89 को स्थान  लेने के लिए किया गया है। चीन के  द्वारा विकसित किया गया यह तीसरी पीढ़ी का  हॉवित्जर गन है, जो दूसरी पीढ़ी की आई.एफ.वी चेसिस पर आधारित है। इसमें सुधार की गति, गतिशीलता, और अपने आप को बचाए रखने के साथ-साथ डिजिटलीकरण की सुविधा है। यह पी.एल.ए बख्तरबंद ब्रिगेड का समर्पित आर्टिलरी खंड है।

लेकिन, नवीनतम हथियारों में एस.एच -15 ट्रक-माउंटेड होवित्जर एक बख्तरबंद केबिन के साथ शामिल है और यह 155 मिमी / एल52 हॉवित्जर के साथ सशस्त्र है , जिसे 2017 में पहली बार देखा गया था। यह  कम्प्यूटरीकृत फायर कंट्रोल प्रणाली, नेविगेशन, पोजिशनिंग और टारगेटिंग प्रणालियों से सुसज्जित है। यह सभी 155 मिमी वाले नाटो गोला-बारूद के साथ संगत है। यह अनुमान है कि यह होवित्जर एक रॉकेट-सहायता प्राप्त वी-एल.ए.पी शेल के साथ 53 किमी की सीमा तक पहुंच सकता है। यह आर्टिलरी सिस्टम, चीनी लेजर-निर्देशित और जी.पी.एस-निर्देशित मूनिशन का उपयोग कर सकता है।   पी.एल.ए के पूर्वी थिएटर कमान के तहत एक आर्टिलरी ब्रिगेड के साथ सेवा में।

इसमें आगे और भी जोड़ें, 25 टन वजन वाले पी.सी.एल-181  155 मिमी वीइकल माउंटेन  होवित्जर, का उपयोग मुख्य रूप से सक्रिय पी.एल-66 152-एम.एम टोड गन-हॉवित्जर को बदलने के लिए और बचे हुए,  59-1 130-एम.एम टोड तोपों  के,  एक छोटे हिस्से को बदलने के लिए किया जाएगा। बाद के, पी.एल-66 152-एमएम की तुलना में, PCL-181 में प्रतिक्रिया, मार्चिंग और निशाना साधने का गुण है। लक्ष्य के  अलावा यह तेजी से निशाना सधा सकता है। इस  प्रणाली में एक स्वचालित गन-लेइंग  सिस्टम , एक अर्ध-स्वचालित गोला-बारूद लोडिंग सिस्टम, एक डिजीटल नियंत्रण बोर्ड और केबिन क्षेत्र (चालक सहित) में छह कर्मियों के लिए जगह है।

लक्ष्य Azimuth डेटा के इनपुट के बाद, वीइकल माउंटेड फायर कंट्रोल  कंप्यूटर, स्वचालित रूप से हमलावर तत्वों को व्यवस्थित कर सकता है और Azimuth और आर्टिलरी की ऊंचाई को समायोजित कर सकता है। इसके अलावा, पी.सी.एल-181 भी पर्वतीय क्षेत्रों, रेगिस्तान, गोबी रेगिस्तान और पठारों में गतिशीलता और परिचालन लचीलेपन के मामले में पी.एल.जेड-05 से बेहतर है।

होवित्जर के पास 50 किमी से अधिक दूरी की मारकर क्षमता वाली 52-कैलिबर की तोप है और यह लेजर-निर्देशित और उपग्रह-निर्देशित  प्रक्षेप्य पर गोली चलाती है।  जनवरी 2019 में ग्लोबल टाइम्स  के  हवाले से, सॉन्ग झोंगपिंग , जो एक सैन्य विशेषज्ञ है,  कहा था कि यह  होवित्जर, तिब्बत में पी.एल.ए की उच्च ऊंचाई वाली युद्धक क्षमता को बढ़ा देगा।

सेल्फ प्रोपेल्ड ट्रैक(एस.पी) सिस्टम के तीन संस्करण हैं: पी.एल.जेड -52; पी.एल.जेड-05 और पी.एल.जेड -07।    पी.एल.जेड -52, एक 155 मिमी /  एल52 हॉवित्जर के साथ सुसज्जित है, और यह   पी.एल.जेड-05 का एक उन्नत संस्करण है। इसमें संशोधित खोल और नया बुर्ज है। एक  हाई-एक्सप्लोसिव फ्रैग्मेंटेशन (HE-FRAG) प्रक्षेप की मारक  क्षमता लगभग 30 किमी और विस्तारित-रेंज प्रक्षेप्य की लगभग 40 किमी है। रॉकेट- सहायक प्रक्षेप्य  के साथ इसकी अधिकतम मारक  क्षमता  दूरी 53 किमी है। चीन ने, जी.पी.एस-निर्देशित 155 मिमी प्रक्षेप्य विकसित किया। यह दावा किया गया था कि इस प्रक्षेप्य में 100 किमी की अधिकतम दूरी और 40 मीटर की सटीकता है। यह चीनी सटीक निर्देशित प्रक्षेप्य को फायर करने में भी सक्षम है, जिसकी अधिकतम सीमा 20-25 किमी है। इस आर्टिलरी सिस्टम में एक अर्ध-स्वचालित या यहां तक कि पूर्ण स्वचालित गोला-बारूद लोडिंग सिस्टम है। एक मिनट में यह अधिकतम, लगभग 8 से 10  बार  हमला कर सकता है।  PLZ-52 मल्टीपल राउंड साइमलटेनीयस  इम्पैक्ट (एम.आर.एस.आई) फायरिंग में सक्षम है। इसका प्रक्षेपण 4 दौरों तक  हो सकता है, जो एक साथ एक ही लक्ष्य को भेदेगा।

पी.एल.जेड-05, जिसे टाइप 05 के रूप में भी जाना जाता है, एक सेल्फ प्रोपेल्ड ट्रैक 155- मिमी, ट्रैक्ड एडवांस्ड कैनन-होवित्जर है। पी.एल.जेड-83 के आधार पर, यह 50 किलोमीटर तक की सीमा तक गोला बारूद का हमला  करता है। यह, ए.एच 2 टोड हॉवित्जर का  संशोधित संस्करण है और इसे टाइप 83 SPH के उत्तराधिकारी के रूप में विकसित किया गया था। यह पी.एल.जेड-45 से विकसित हुआ। इसमें स्वचालित गोला बारूद लोडिंग सिस्टम है। रॉकेट- सहायक  प्रक्षेप्य की सहायता से इसकी अधिकतम मारक  क्षमता 40 किमी से अधिक है। यह लेजर- निर्देशित प्रक्षेप्य फायरिंग करने में भी सक्षम है। हमले की अधिकतम दर, लगभग 8 से 10 राउंड प्रति मिनट है।

पी.एल.ए की पी.एल.जेड-07 एस.पी 122-मिमी ट्रैक्ड हॉवित्जर, तीसरी  पीढ़ी गन की  संरचना, पीएलएज- 89 के साथ बदलने के लिए किया गया है।  यह  पी.एल.ए बख्तरबंद ब्रिगेड का  समर्पित आर्टिलरी  खंड है।

नवीनतम आर्टिलरी  के आगमन  द्वारा, पी.एल.ए सेना की आर्टिलरी इकाइयों में स्थिति पूरी तरह से बदल जाएगी: 130 मिमी और 152 मिमी कैलिबर की आर्टिलरी  गन का पूरी तरह से समाप्त होने की संभावना है।

यहां तक ​​कि एंटी-एयरक्राफ्ट आर्टिलरी (ए.ए.ए) प्रणाली, जैसे PGZ-04, एक स्व-चालित 25- मिमी ट्रैक्ड एयर डिफेंस सिस्टम है, जिसमें मिसाइल और एंटी-एयरक्राफ्ट आर्टिलरी बंदूकें दोनों है और विशेष रूप से हेलिकॉप्टर और क्रूज मिसाइलों के खिलाफ सक्रिय सेवा में है। इसके अलावा, PGZ-07 में दोहरे 35 मिमी एंटी-एयरक्राफ्ट आर्टिलरी गन का दावा किया गया है, जो 1000 राउंड प्रति मिनट की दर से हमला करता है, जो चौंका देने वाला है और इसका बाहरी हिस्सा पतला  है।

आखिरकार, 1988 में विकसित HQ-7B एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम(एस.ए.एम) अत्यधिक सटीक, गतिशील और एंटी-जैमिंग क्षमता से लैस है। इसमें भूमि आधारित और समुद्री, दोनों प्रकार के मारकर क्षमता वाले मिसाइल है।

संक्षेप में, आधुनिक आर्टिलरी प्रणाली के आगमन के साथ व्यापक रूप से सुधार की गई श्रेणियों, हमले की दर, सटीकता और मूनिशन की विनाशकारी क्षमता के साथ, भारत-तिब्बत सीमा पर युद्ध के दौरान इसका दूरगामी प्रभाव हो सकता है, विशेष रूप से हवा के पतलेपन के कारण, जो उनके ज्ञात श्रेणियों से जुड़ी हुई है। हमारे राजनीतिक-नौकरशाही निर्णय निर्माताओं के लिए चिंता की बात है कि चीन के पी.एल.ए अपने वायुसेना,  जो लेह में उच्च ऊँचाई वाले पठार के साथ होटन में  लगभग 170 किमी तक और चुशूल में, फिंगर 8 के क्षेत्र से 40 किलोमीटर के भीतर लद्दाख में पैंगोंग झील तक संचालन  करता है, पर अत्यधिक निर्भर नहीं हुए बिना भी, पी.एल.ए हमारे मुख्य ठिकानों को निशाना बना सकता है, हमला कर सकता है और नष्ट कर सकता है। इसी तरह, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश में, हमारे मुख्य ठिकाने, चीन के मल्टी ​​बैरल लॉन्च रॉकेट आर्टिलरी सिस्टम प्रणाली के मारक दूरी के भीतर आता है।

हमारे राजनीतिक- नौकरशाही निर्णय निर्माताओं को यह भी चिंता करनी चाहिए कि भविष्य में लड़ाई, यूनाइटेड स्टेट से  आयात  की गई “एक्सकैलिबर” “मूनिशन” के सीमित संख्या के साथ नहीं लड़ी जा सकती है। यदि “आत्मनिर्भर भारत” के सपने को साकार करना है, तो “भारत द्वारा निर्मित” हथियार प्रणालियों पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए- सटीक निर्देशित गोला बारूद, मल्टी ​​बैरल लॉन्च रॉकेट आर्टिलरी सिस्टम   (एम.आर.एल.एस) और व्हीलड और ट्रैक्ड  सिस्टम के सभी पहलुओं में सच्चा स्वदेशीकरण– युद्धों  का भगवान या राजा ।

यह “दिग्गजों” के लिए  अपने विचारों को व्यक्त करने का उच्च समय है और भविष्य की लड़ाइयों में हमलावरों को रोकने के लिए सशस्त्र बलों के लिए अत्याधुनिक प्रणाली के विकास, स्वदेशीकरण और प्रेरण की मांग करता है। सेवारत प्रमुखों के लिए, सार्वजनिक रूप से गंभीर चिंताओं को व्यक्त नहीं किया जा सकता है। अन्यथा, “हिंदुस्तान के अंधों” ने 1962 में कोलंबो के रास्ते पर नेहरू के स्पष्ट आह्वान की याद दिलाते हुए, भाषाई बयानबाजी में लिप्त रहना जारी रखेंगे- “थ्रो द चाइनीज आउट”-  राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए एक बड़े मूल्य पर।

पीपल्स लिब्रेशन आर्मी(पी.एल.ए) रणनीतिक रॉकेट बलों की समीक्षा इस लेख में नहीं की गई है। इसकी सूचना सार्वजनिक मंच पर उपलब्ध है।

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